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November 22, 2024

मशरूम की खेती कर सशक्त हुई हिमाचल की महिलाएं

News portals-सबकी खबर (शिमला) जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यानी जाइका वाणिकी परियोजना से पहाड़ की महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। प्रदेश में मशरूम की खेती करने के लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद की जा रही है। बताया गया कि 65 स्वयं सहायता समूह ने एक वर्ष के अतंराल में 12 लाख से अधिक की कमाई की। यह अपने आप में रिकार्ड भी है। हिमाचल प्रदेश वन परिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना प्रदेश के 18 वन मंडलों के 32 फोरेस्ट रेंज में प्रोजेक्ट के माध्यम से मशरूम की खेती की जा रही है। जाइका के माध्यम से प्रदेश के 65 स्वयं सहायता समूहों को हर मौसम में मशरूम की खेती करने के तरीके बताए जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बटन मशरूम, शिटाके मशरूम और ढिंगरी मशरूम से आज महिलाओं के साथ-साथ पुरूष भी आजीविका कमा रहे हैं। शिमला के कांडा में स्वयं सहायता समूह को उनके गांव में जाइका वानिकी परियोजना के कर्मचारियों और विशेषज्ञों द्वारा बटन मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। ग्रुप ने किराए के कमरे में 10 किलोग्राम के 245 बीज वाले कम्पोस्ट बैग के साथ बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बटन मशरूम के उत्पादन में सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिला सदस्यों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की गई। जिस वजह से 25 दिनों के बाद बटन मशरूम का उत्पादन शुरू हुआ और एक हफ्ते में ग्रुप ने 200 किलोग्राम मशरूम तैयार किया, जो 150 से 180 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिल रहा है। बटन मशरूम के साथ-साथ ढींगरी और शिताके मशरूम की प्रजातियों की ज्यादा मांग है। इसको ध्यान में रखते हुए समूह में मशरूम उगाने में विविधता लाने के प्रयास जारी है। जिला मंडी के सुंदरगनर के वन मंडल सुकेत में 19 स्वयं सहायता समूह हैं, जो मशरूम की खेती कर आजीविका कमा रहे हैं। बताया गया कि इन सहायता समूह ने पिछले एक साल में आठ लाख रुपये की कमाई की है। जाइका की ओर से मशरूम की ट्रेनिंग के लिए विभिन्न स्थानों पर कृषि विज्ञान केंद्रों की सेवाएं ली जा रही है।


59 ग्रुप ने पहली बार की मशरूम की खेती
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 65 में से 59 ऐसे ग्रुप हैं, जो पहली बार मशरूम की खेती कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से महिलाओं के 45 ग्रुप और ग्रुप पुरूष के हैं, जबकि 12 ग्रुप महिला एवं पुरूष का मिश्रण हैं। गौरतलब है कि जाइका प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में लोगों को आजीविका कमाने का बेहतर मौका मिल रहा है। इसके माध्यम में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। मशरूम की खेती को बढ़ावा देने एवं हर मौसम में अलग-अलग किस्म के मशरूम तैयार करने के लिए कलस्टर तैयार किया जा रहा है।


शक्ति एसएचजी में एक दिन में तैयार किया 20 किलो मशरूम

जिला शिमला के जुब्बल रेंज के तहत शक्ति स्वयं सहायता समूह ने एक दिन में 20 किलोग्राम मशरूम तैयार किया। यह बटन मशरूम है और 170 रूपये प्रति किलो के हिसाब में इसकी कीमत मिल रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक शक्ति स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने गत बुधवार को 20 किलोग्राम मशरूम तैयार किया। ऐसे में जाहिर है कि मशरूम की खेती कर आज स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आर्थिकी को और भी मजबूत कर रही हैं।


जाइका प्रोजेक्ट के माध्यम से आज हिमाचल की महिलाएं अपनी आर्थिकी में सुधार करने लगी हैं। स्वयं सहायता समूहों के तहत जुड़े ऐसी महिलाओं ने बटन मशरूम, शिकटाके मशरूम और ढिंगरी मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई कर रही हैं। प्रदेश में हर मौसम के मुताबिक तैयार होने वाले मशरूम की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आने वाले समय में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।

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