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November 22, 2024

कमरऊ के युवाओं के प्रयासों से बिशु मेले की लौटी रौनक: मनीष तोमर/ विशाल दंगल में पंजाब के काजा पहलवान ने जीती माली/ कमरऊ प्रगतिशील विकास मंच के युवाओं के प्रयास सराहनीय।

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गिरिपार क्षेत्र में इन दिनों में बिशु मेले के त्यौहार का आयोजन चला हुआ है। गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय की लोक संस्कृति के वाहक बिशु मेले अपनी अलग पहचान रखते हैं। ये मेले सिरमौर व पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार बावर मे भी इसी तरह के मेले होते हैं। जिला सिरमौर क्षेत्र में बिशु मेले प्रसिद्ध है।


शनिवार को गिरिपार क्षेत्र के तिल्लोरधार में कमरऊ प्रगतिशील विकास मंच के सौजन्य से बिशु मेला बड़े धूमधाम से मनाया गया | इस दौरान विशाल दंगल आयोजित हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आंजभोज के युवा नेता मनीष तोमर ने विधिवत शुभारंभ किया। कमरऊ प्रगतिशील विकास मंच के युवाओं के प्रयास सराहनीय है। मुख्य अतिथि ने कहा कि कमरऊ गांव एक समय एशिया का सबसे अमीर गांव रहा है। इस गांव में तिलोरधार में होने वाला मेला पिछले कुछ वर्षों से अपनी पहचान खो रहा था। पिछले वर्ष से गांव के शिक्षित युवाओ ने बिशु मेले के संरक्षण को कदम।उठाया। जो अब फलीभूत होते नजर आ रहे हैं। मुख्य अतिथि ने 21000 राशि आयोजन समिति को दी।


कमरऊ पंचायत के लोगों ने मिलकर तिलोरधार बिशु का आयोजन किया जाता है । कमरऊ व बलद्ववा के लोगों ने बिशु  में भगवान श्री शिरगुल महाराज की पालकी के  साथ श्री गुरु महाराज की जय जयकारों से जातर कमरऊ से मेला मैदान में पहुंचने पर मेले का आगाज हो जाता है। दोनों गांव अपने अपने कुलिष्ट देव की पालकी विशु मेले में लाई जाती है। ढोल-नगाड़ों के साथ पहाड़ी लोकल संगीत के साथ नाचते हुए जातर मेले में पहुंचती है। पुरानी परंपराओं के अनुसार मेला मैदान में रासे लगे। विशु के मेले में कुश्ती और ठोडा नृत्य खेलों का आयोजन भी किया गया। जिसमें कि बाहरी राज्यों से भी लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया ।


दंगल कुश्ती का माली खिताबी मुकाबला पंजाब के पहलवान काजा सिंह व् यूपी जलालाबाद के साजिद के बिच हुआ। इस मुकाबले में पंजाब के काजा ने माली जीत ली। कुश्ती प्रतियोगिता में पहलवानों ने अपनी प्रतिभा को दिखाई | पुरानी परंपरा से आ रहे इस मेले में हाटी समुदायों का यह प्रसिद्ध ठोडा खेल है। इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के टांगों में लकड़ी के बाण से प्रहार करते हैं। जो निशाना सटीक मारता हैं, उसकी खूब वाहवाही होती है। इस बाण का बहुत ही पीड़ादायक होता है। यह निशाना केवल पांव से ऊपर और कमर से नीचे( स्थानीय भाषा मे पीली) ही लगाना होता है । हाटी की ये पुरानी परंपरा से चली आ रही। इस प्रथा के अनुसार यह खेल सदियों पुराना व् पसंदीदा खेल होता है।।ल हाटी समुदाय के लोगों ने इस कहले कि लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए प्रयास किए हैं। इस खेल का आयोजन हर साल विशु के मेले में जगह-जगह होता है।


क़मरऊ के तिलोरधार ,बिशु के मेले में कुश्ती के खेल मे लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।यही नही बाहरी राज्यों से भी लोगों ने इस कुश्ती के खेल में बढ़ चढ़कर भाग लिया। इन खेलों को देखने के लिए लोगों का खूब जनसैलाब उमड़ा । गिरिपार क्षेत्र के इस पूरे महीने विशु मेले का आयोजन जगह जगह चलेगा।

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