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November 22, 2024

शिलाई : पष्मी में 2025 में चालदा महाराज आगमन को लेकर भव्य मंदिर निर्माण की नींव साथ ताम्र कलश को विधिवत रूप स्थापित किया

News portals-सबकी खबर (शिलाई ) हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के अंतर्गत आने वाले पष्मी गांव में 2025 में चालदा महाराज आगमन को लेकर भव्य मंदिर निर्माण की नींव आज रख दी गई है । भाव मंदिर निर्माण को लेकर बुधवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया है जिसमे शिलाई विधानसभा क्षेत्र के सभी पंचायतों के लोगों को आमंत्रित किए गए । सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में बुधवार को पंडितों द्वारा मंत्र उच्चारण, बजंतरियों द्वारा ढोल नगाड़े के साथ महासू महाराज की पूजन पद्ति तथा अभिषेक राणा के हाथों मंदिर के चार कोनों में अन्न से भरे ताम्र कलश को विधिवत रूप स्थापित किया गया है , जहाँ आने वाले समय में भव्य मन्दिर बन कर तैयार होगा। महाराज के बजीर दीवान सिंह राणा ने बताया कि चार खत जौनसार बाबर और चालदा महाराज बराश की सहमति से 2025 में हिमाचल के पश्मी आने पर सहमति दी गई है । जिसको लेकर आज विधि विधान पूर्वक मंदिर निर्माण और कलश की स्थापना की गई है ।

बता दे कि जौनसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के आराध्य देव चार भाई महासू में से एक चलायमान देवता चालदा महाराज वर्ष 2025 में एक वर्ष के लिए जिला सिरमौर के उपमंडल शिलाई के पश्मी गांव में आएंगे तथा एक वर्ष तक पश्मी गांव में चल्दा महाराज की पूजा-अर्चना की जाएगी। इतिहास में ऐसा पहली बार यह संभव हो पाया है कि जब चालदा महासू देवता टौंस नदी आर कर सिरमौर में आ रहे हैं। आज तक इतिहास गवाह है कि कभी भी चालदा महासू महाराज सिरमौर नहीं आया है। वर्तमान में चालदा महाराज का प्रवास 2025 तक जौनसार की जेष्ठ खत दसऊ में विराजमान रहेंगे।गौरतलब हो की जौनसार बावर के कुल आराध्य देवता हैं महासू देवता । महासू देवता चार भाई हैं। जिनमें सबसे छोटे भाई चालदा महासू देवता हैं। चालदा महासू देवता हमेशा चलायमान रहते हैं, जो प्रवास के दौरान पूरे जौनसार बावर, उत्तराखंड, हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में 1 साल, 6 महीने, 2 साल, ढाई साल, अलग-अलग समय समय पर प्रवास हेतु निकलते रहते हैं। जौनसार बावर के कुल आराध्य देवता महासू देवता। महासू असल में एक देवता नहीं, बल्कि चार देवताओं का सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में महासू शब्द ‘महाशिव’ का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं। इनमें बासिक महासू सबसे बड़े हैं, जबकि बौठा महासू, पबासिक महासू व चालदा महासू दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर के हैं। बौठा महासू का मंदिर हनोल में, बासिक महासू का मैंद्रथ में और पबासिक महासू का मंदिर बंगाण क्षेत्र के ठडियार व देवती-देववन में है। जबकि, चालदा महासू हमेशा जौनसार-बावर, बंगाण, फतह-पर्वत व हिमाचल क्षेत्र के प्रवास पर रहते हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता को इष्ट देव (कुल देवता) के रूप में पूजा जाता है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मंदिर को न्यायालय के रूप में मान्यता मिली हुई है। महासू देवता का मुख्य मंदिर हनोल गांव में स्थित हैं जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते हैं।

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