News portals-सबकी खबर (शिलाई ) निजी कंपनियों के दबंगई व मनमानी और प्रशासन व जिम्मेदार विभागों की लाचारी देखनी हो तो 707 पर नजर आ जाएगी। यहां शिलाई के समीप HES इंफ्रा की सबलेट कम्पनी रुद्रनव इन्फ्रा कंपनी का स्टोन क्रेशर नियम कानून की दिन-रात धज्जियां उड़ा रहा है। लंबे समय से चल रही स्टोन क्रेशर को बंद करने की हिम्मत जिम्मेदार विभाग और प्रशासन अभी तक नहीं जुटा पाया है ।राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर काम कर रही निजी कंपनियों के मनमानियां बढ़ती जा रही है। यहां चौड़ीकरण का काम कर रही कंपनियां नियम कानून को तक पर रखकर बेरोकटोक काम कर रही हैं। हालांकि कंपनियों द्वारा अवैज्ञानिक ढंग से नदियों नालों में मालवा फेंकने को लेकर एनजीटी में मामला दर्ज हो चुका है। बावजूद इसके निजी कंपनियां दिन रात कानूनों की धज्जियां उड़ा रही हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर फेस 3 का कार्य कर रही HES इंफ्रा की सबलेट कम्पनी रुद्रनव इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड का एक स्टोन क्रशर्स संचालित कर रहे हैं। इस स्टोन क्रेशर में हर तरह का पत्थर तोड़कर सड़कों में बिछाया जा रहा हैं, साथ ही यह स्टोन क्रशर व डामर प्लांट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कायदे कानून को ठेंगा दिखा जा रहा है।स्टोन क्रेशर और डामर प्लांट के प्रदूषण से समीप पहाड़ी पर्वत से टिक्कर गांव के लोगों का जीना कठिन हो गया है। डामर प्लांट से निकलने वाली काला जहरीला धुआं समूचे क्षेत्र में वातावरण को दूषित कर रहा है। इस काले जहरीले धुएं से न सिर्फ इंसान बल्कि जानवरों, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान हो रहा है। क्षेत्र के लोगों में चर्म रोग, दमा, टीवी दाद खाज खुजली सहित अनेक बीमारियां पनपने लगी हैं। साफ सुथरी प्रदूषण रहित हवा में रहने वाले लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारियों का डर सता रहा है। मगर हैरानी की बात है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चुपी साधे हुए हैं।
डामर प्लांट और स्टोन क्रेशर पर नियमों की अभेलना का राज पिछले दिनों तब खुला था जब एनजीटी द्वारा गठित पांच विभागों की कमेटी इस क्षेत्र के दौरे पर थी। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने इस संबंध में मीडिया को स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बताया मगर उन्होंने कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर विजय मिश्रा को मौके पर ही कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही स्टोन क्रेशर के लिए निर्धारित नियमों को पूरा करने के सख्त निर्देश भी दिए थे। आप भी सुनिए अधिकारी ने प्रोजेक्ट मैनेजर मिश्रा को किस तरह से फटकार लगाई थी।उधर, सूत्रों का कहना है कि HES सबलेट कंपनी रुद्रनव इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड का यह स्टोन क्रशर और डामर प्लांट के अधिकतर नियमों को पूरा नहीं करता है। बावजूद इसके पिछले लंबे समय से डामर प्लांट औऱ स्टोन क्रशर बेरोकटोक चल रहा है। प्रशासन सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या तो कंपनी के स्टोन क्रेशर को बंद करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं या किसी कारणवश कंपनी के समक्ष नतमस्तक हैं।
वही अवैज्ञानिक कार्य प्रणाली को लेकर एनजीटी पहुंचे नाथूराम चौहान और स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, स्थानीय जिम्मेदार विभागों और राजनेताओं के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में स्थानीय लोग अब प्रदूषण के मुद्दों के अलावा अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी शीर्ष अदालतों का दरवाजा खटखटाना का मन बना रहे हैं।
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