न्यूज पोर्टल्स: सबकी ख़बर
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से राहुल गांधी करीब 38,449 मतों के अंतर से हार गए। इससे, पहले 1977 में संजय गांधी को अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था। दिल्ली में जन्मीं स्मृति इरानी का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।
स्मृति को 3,11,992 मत मिले। जबकि इस सीट से वर्ष 2004, वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में लाखों के अंतर जीतने वाले राहुल को इस बार मात्र 2,73,543 मत मिले।
वीरवार को सुबह में मतगणना शुरू होने के बाद से स्मृति लगातार मामूली बढ़त बनाए रहीं। मगर दोपहर बाद उनके और राहुल के बीच हासिल मतों का अंतर बढ़ता चला गया।
बता दें कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीती हैं। वहीं, सोनिया के बेटे व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नतीजे आने से पहले ही अमेठी से हार मान ली थी। उन्होंने स्मृति ईरानी को जीत के लिए बधाई भी दे दी। कांग्रेस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनावों में अपनी हार स्वीकार कर ली है। ये सीट कांग्रेस के कब्ज़े में ही रही है। इस बार गांधी परिवार का यहां तिलिस्म टूट गया।
दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी
स्मृति ईरानी ने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ टीवी सीरियल से घर-घर में पहचान बनाने वाली इरानी ने जब बीजेपी के जरिये सियासत में कदम रखा, तो उस वक्त किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि वह एक दिन देश के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के गढ़ में जाकर बर्चस्व को ही तोड़ देंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी में अपनी हार स्वीकर कर ली है। इरानी को जीत की बधाई भी दे दी है। इससे पहले 1977 में संजय गांधी को अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था।
2004 में पहले ही चुनाव में मिली हार
स्मृति 2003 में उस वक्त बीजेपी में शामिल हुईं, जब उनका ऐक्टिंग करियर उफान पर था। उसके अगले ही साल वह महाराष्ट्र यूथ विंग की उपाध्यक्ष बनाई गईं। 2004 में इरानी पहली बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उथरीं लेकिन उन्हें कांग्रेस के कपिल सिब्बल के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 2010 में इरानी को बीजेपी महिला मोर्चा की कमान दी गई। 2011 में बीजेपी ने उन्हें राज्य सभा भेजा। अगले ही साल वह पार्टी की उपाध्यक्ष बनाई गईं।
राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ना रहा करियर में टर्निंग पॉइंट इरानी के राजनीतिक करियर में टर्निंग पॉइंट तब आया। जब बीजेपी ने उन्हें 2014 में गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। हालांकि, एक लाख से ज्यादा वोटों से हार गईं। लेकिन चुनाव के दौरान उन्होंने खूब जुझारूपन का परिचय दिया। वह सबको खूब प्रभावित कर गया। बाद में, इसका उन्हें इनाम भी मिला। लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें न सिर्फ अपने कैबिनेट में जगह दी।। बल्कि मानव संसाधन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय से नवाजा। बाद में उन्हें कपड़ा मंत्रालय में भेजा गया। अब इस ऐतिहासिक जीत से कॅरियर ही बदल गया हैं। अब इस जीत से देश के कद्दावर नेताओं में शुमार हो गई है।
Recent Comments