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नदियों में बाढ़ और सैलाब का मंजर तो गुजर गया लेकिन अपने पीछे तबाही के डरावने निशान छोड़ गया है। ऐसा ही हाल जिला सिरमौर के कुमला क्षेत्र का हुआ है जहाँ पर 3 पंचायतों को उत्तराखंड से जोड़ने वाला एकमात्र रज्जू मार्ग यानी झूला विगत दिनों आई टोंस नदी की भेंट चढ गया। कुमला के समीप नदी पार करने का एकमात्र जरिया खत्म होने से क्षेत्र के हजारों लोगों का उत्तराखंड की और आवागमन बंद हो गया है।
सिरमौर जिले के दूरदराज क्षेत्रों में लोग 18 वीं सदी जैसी सुविधाओं के साथ जीने को मजबूर हैं। अक्सर प्राकृतिक आपदाऐं लोगों से यह सुविधाएं भी छीन लेती हैं और लोग फिर से पौराणिक युग जैसे हालात में जीने को मजबूर हो जाते हैं। रज्जू मार्ग टूटने से कुमला क्षेत्र के लोगों के हालात भी कुछ ऐसे ही हो गए हैं। रज्जू मार्ग बहने से इस क्षेत्र लोगों का उत्तराखंड आवागमन का एकमात्र जरिया खत्म हो गया है। पिछले दिनों टोंस नदी में बाढ़ आ गई थी। जिसकी वजह से कुमला क्षेत्र में दशकों पुराना रज्जू मार्ग बाढ़ में बह गया था।रज्जू मार्ग के बहने से सिरमौर जिले की बनोर, शावगा और जामना पंचायतों का उत्तराखंड से संपर्क टूट गया है। यह रज्जू मार्ग क्षेत्र के हजारों लोगों का उत्तराखंड आवागमन के लिए एकमात्र जरिया था। इसके इलावा लोगों के पास उफनती टोंस नदी करने का एकमात्र जरिया जोंग पुल बचता है लेकिन यह पुल इस क्षेत्र से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। ऐसे में हिमाचल से उत्तराखंड के खेरवा में शिक्षा ग्रहण करने जाने वाले स्कूली बच्चों का भी मार्ग बंद हो गया है, साथ ही लोगों के आवागमन और नगदी फसलें उत्तराखंड पहुंचाने का जरिया भी समाप्त हो गया है।
हालांकि इस क्षेत्र के दशकों से यहां पुल बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लिहाजा लोग प्रकृति के रहमों करम पर जीने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासी कंवर सिंह शर्मा, तोता राम शर्मा हरिदत्त शिवराम संतराम नरेश कुमार रॉबिन शर्मा राजेश कुमार आदि ग्रामीणों ने मांग की है कि इस क्षेत्र में जल्द वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की जाए और स्थाई तौर पर पुल निर्माण करवाया जाए ताकि लोगों की आवागमन की समस्या का समाधान हो सके।
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