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संपूर्ण गिरीपार क्षेत्र के महासू मंदिरों में महासू पंचमी धूमधाम से मनाई गई। शिल्ला गांव में भी 2 दिवसीय महासू पंचमी पर्व चल रहा है। सोमवार को हर्षोल्लास के साथ पर्व मनाया गया । आज सैकड़ों श्रद्धालुओं को महासू देव के दर्शन हुए । लगभग 3 बजे महासू देवता की चिन्ह व देव रूप शक्ति के स्वरूप में पालकी सहित अपने कक्ष से बाहर निकलें और विभिन्न शास्त्रों के साथ देव पालकी के साथ दूर- पहाड़ पर पालकी को स्नान करा कर लौटने के बाद उसके उपरांत उपवास जो कि पूरे ग्रामीण लोगों द्वारा किया जाता है, संपन्न होने के बाद आगे का कार्यक्रम किया जएगा । हजारों लोगों को भंडारे का भी आयोजन । रात्रि को चार पहाड़ी कलाकार सास्कृतिक कार्यकम से लुभाएंगे श्रद्धालुओं का मन ।
रविवार को महासू पंचमी का पहला दिन ढींडकात बड़े धूमधाम से मनाया गया । इसमें सभी घर मे पहाड़ी पकवान सहित महासू के नाम का ढींडका बनाया गया । प्रचीन परंपरा से चली आ रही प्रथा के अनुसार रात्रि को महासू देव का बिरसु का संगीत कर देवता को मानव में प्रकट होता है जो कि अपने आप मे शक्ति का प्रतीक है । मानव जाति के संकट को हरने वाले देव रूप प्रकट होकर लोगो के कष्टो को दूर करते है । ऐसे देव रूप का भजन पूरी रात भर किया गया । वही श्रद्धालुओं ने भी महासू के नाम पर रात का जागरण किया गया । वही सोमवार को महासू देव के प्रांगण में हजारों श्रद्धालुओं को भंडारे का आयोजन भी किया गया ।
सोमवार के दिन में महासू देव श्रद्धालुओं को छड़ी सहित 64 देवी देवताओं के साथ बाहर निकले सर्वप्रथम महासू मन्दि से काली बाहर निकलती है । उसके बाद सभी देव अपनी चिन्ह व छड़ी के साथ ओर महासू की पालकी के साथ बाहर निकलकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते है । महासू देवते को जागृत करने के लिए परम्परगत लोक गीत बिरसू का गायन किया जाता है । जिसमे दयाल जो कि महासू देवते के बजेगी है उनकी स्त्रियों निर्त्य कर के महासू देवते को पर्सनचित करती है ये एक लोक परम्परा सदियों से चली आ रही है वही भजन कर लोगो ने खूब आनंद लिया । उसके बाद महासू देव स्नान के लिए ले जाया जाता है वही पालकी के साथ जितने भी श्रद्धालु जाते है वो प्रकृति पानी से पांच स्नान कर वापस मंदिर की ओर प्रस्थान करते है ।
तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए डांडिया रास किया जाता है । यह अपने आप में अदभुत दर्शय है । उसके बाद सम्पूर्ण ग्रामवासी रासे ओर लोक निर्त्य करते है । महासू पंचमी में प्रत्येक घर से एक व्यक्ति जो कुल देवता का उपवास रखते हैं देवते को भेंट स्वरूप चावल और अखरोट भेंट प्रदान करते है बदले में महासू के बजीर ओर माली से चावल के रूप में शक्ति दी जाती है । उसके बाद सभी लोग उपवास खोलने की अनुमति मंगाते है । उसके बाद रात्रि के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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