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गिरिपार क्षेत्र में कम भार वाले गैस सिलेंडर की आपूर्ति से उपभोक्ताओं को खूब चुना लगाया जा रहा है। इसका खुलासा खुद ही ग्रामीणों ने अपने स्तर पर किया है। मौके पर ही वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया गया है। जिससे शिलाई की निजी गैस एजेंसी व विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। साथ ही उचित जांच की मांग भी रखी है। जिससे ये पता चल सके कि लापरवाही हुई है या फिर लालच में आकर उपभोक्ताओं के जेब पर डाका डाला दिया जा रहा है?
कमरऊ में सोमवार दोपहर एलपीजी सिलेंडर वितरित करने वाहन पहुंचा था। कुछ जागरूक ग्रामीणों को सिलेंडर वजन कम होने का संदेह हुआ। जिसके बाद एक स्थानीय शॉप के इलैक्ट्रॉनिक तराजू पर वजन तोल लिया। इसके बाद एक एक करके कई सिलेंडरों में भर एक से 2 किलो तक गैस कम पाई गई। बस फिर क्या था, ग्रामीणों में रोष पनपता ही गया।
कमरऊ के उपभोक्ताओं ने शिलाई गैस एजेंसी मालिक को इसकी शिकायत कर दी। फिर, मामला बिगड़ते देख, ग्रामीणों के पैसे वापस किए गए। लेकिन, कई सवाल अभी भी अनसुलझे है। क्या एलपीजी सिलेंडरों में गैस वजन की सही पड़ताल संबंधित विभाग नही करते? अनियमितता किस स्तर से हुई है? इसकी जांच होनी जरूरी है।
कमरऊ समेत आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के सैंकड़ो उपभोक्ताओं की आंखों में धूल झोंकने व ठगने की कोशिश की जा रही है। सुरेंद्र सिंह, जगत सिंगह, अनिल कुमार, मेहन्द्र सिंह, दिलीप सिंह, मदन सिंह व अनित शर्मा समेत ग्रामीणों ने इस मामले की उचित जांच करवाने की मांग रखी है।
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