News portals-सबकी खबर (सगड़ाह)
उपमंडल संगड़ाह की सर्दियों में बर्फ से प्रभावित रहने वाली वादियों मे ठंडे मौसम के चलते इन दिनों एक बार फिर मैदानी इलाकों अथवा पड़ोसी राज्यों से काफी संख्या में सैलानी तथा बाइकर्स पहुंच रहे हैं। प्रदेश सरकार के आदेशानुसार क्षेत्र मे मौजूद मंदिरों के कपाट खुलने से यूं तो यहा गुरूवार से ही बाहरी राज्यों के लोगों की आमद बढ़ गई हैं, मगर शनिवार को वीकेंड के चलते 200 के करीब वाहन हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली व चंडीगढ़ आदि से आए पर्यटकों के देखे गए। क्षेत्र में हालांकि हर साल दिसंबर से फरवरी माह तक हिमपात होने के दौरान बर्फ देखने के लिए पड़ोसी राज्यों से काफी संख्या में लोग पंहुचते है, मगर गत वर्ष से कोरोना कर्फ्यू के चलते सर्दियों मे सैलानी नही पंहुचे। इस सप्ताह एक बार फिर मैदानी इलाकों में हो रही तेज गर्मी से निजात पाने के लिए सैलानी पंहुच रहे हैं। गर्मियों में मैदानी इलाकों में जहां तापमान 40 पार कर जाता है, वहीं उपमंडल संगड़ाह के चूड़धार व आसपास के हिमालय जंगलों अथवा वादियों में तापमान 25 डिग्री के आसपास रहता है।
रविवार को संगड़ाह मे भी अधिक्तम तापमान मात्र 26 डिग्री सेंटीग्रेड रहा। पड़ोसी राज्य हरियाणा के कईं बाइकर शनिवार को बिना हेल्मेट ड्राइविंग अथवा वाहन अधिनियम की अवहेलना करते भी नजर आए। कुछ लोग बिना मास्क व कोविड टेस्ट घूम रहे पड़ोसी राज्यों के लोगों से क्षेत्र में फिर से कोरोना संक्रमण की भी आशंका जता रहे हैं। क्षेत्र में हालांकि विगत दो दशक से सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मगर यहां पर्यटन विकास के नेताओं व अधिकारियों के दावे खोखले साबित हो रहे है। संगड़ाह जिला सिरमौर का एकमात्र उपमंडल है जो अब तक राज्य अथवा राष्ट्रीय उच्च मार्ग से नहीं जुड़ सका है। क्षेत्र की खस्ता हालत सड़कें स्थानीय लोगों के अलावा सैलानियों के लिए भी परेशानियों का सबब बन रही है।
संगड़ाह में साढ़े 8 बीघा मे बनने वाले किंकरी देवी पार्क का निर्माण कार्य जहां दो साल बाद भी पूरा नही हो सका, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा 29, अप्रैल, 2013 को चुड़ेश्वर सेवा समिति के सम्मेलन में की गई उपमंडल संगड़ाह के चूड़धार मे हेलिपैड निर्माण व नौहराधार-चूड़धार सड़क मार्ग की घोषणाएं अब तक पूरी नहीं हो पाई। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के उम्मीदवारों द्वारा क्षेत्र के पर्यटन विकास के वादे दोहराए गए। बहरहाल सरकार द्वारा क्षेत्र के पर्यटन विकास पर ध्यान न दिए जाने के बावजूद क्षेत्र की ठंडी वादियां पड़ोसी राज्यों के लोगों के लिए सस्ती सैरगाहें साबित हो रही है। शिमला व मनाली जैसे पर्यटक स्थलों का खर्चा वहन करने मे असमर्थ मध्यम वर्गीय लोग अथवा बाइकर क्षेत्र मे ज्यादा संख्या मे धूमने पंहुचते हैं।
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