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प्रदेश के चार जिले शिमला, कुल्लू, चंबा और मंडी नशे की चपेट में हैं। केंद्र सरकार से जारी हुई नशा मुक्त भारत की वार्षिक एक्शन प्लान की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। कुल्लू जिला पहले से नशे के गढ़ के तौर पर देश-विदेश में विख्यात है। शिमला और चंबा जिले में भी मामले बढ़ना चिंता की बात है।
प्रभावित जिलों में तीन विभाग नशा मुक्ति पर काम करेंगे। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नशा रोकने की कार्रवाई करेगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जागरूकता अभियान चलाएगा। स्वास्थ्य विभाग नशा पीड़ितों का इलाज करेगा। वहीं उच्च शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाकर नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाएगी। वर्तमान नशा मुक्ति केंद्रों के अलावा सरकारी अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्र खोलने के लिए समर्थन दिया जाएगा। जन भागीदारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू होगा।
केंद्र के सर्वे में हिमाचल के चार जिलों शिमला, चंबा, कुल्लू और मंडी के लोग शराब का सेवन करने में भी अव्वल पाए गए हैं। केंद्र ने एम्स नई दिल्ली के एक केंद्र से यह सर्वे करवाया है। तीसरे नंबर पर अफीम का नशा अधिक किया जा रहा है। इन जिलों में अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से संयुक्त तौर पर नशा मुक्ति का अभियान चलाया जाएगा। देवभूमि के चार जिलों में बढ़ता नशे का कारोबार सरकार के लिए चिंता का विषय है। उधर, नशे की चपेट में आने वाले देश के 272 जिलों की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सूची जारी की है। केंद्र सरकार ने बीते दिनों अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस पर उक्त 272 जिलों में नशा मुक्ति के लिए 260 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है।
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