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पशुओं में फैले लंपी रोग पर सवाल खड़े करने वाले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कड़ा जवाब दिया है। शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में इंसानों की मौत के बाद अब मुकेश अग्निहोत्री पशुओं की मौत पर भी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली थी तब भी कांग्रेस ने राजनीति ही की| वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पशुधन में फैले वायरस पर राजनीति कर मुकेश अग्निहोत्री को वोट की चिंता हो रही है। उन्होंने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री की ऐसी मानसिकता से जाहिर है कि उन्हें सिर्फ वोट की चिंता सताने लगी है। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि 22 जून को लंपी रोग का पहला मामला शिमला के चायली में आया था और 29 जून को इसकी पुष्टि हुई।
प्रदेश सरकार ने पशुधन को बचाने के लिए पहले दिन से ही हरसंभव प्रयास किए। पहली जुलाई को विभाग के सभी अधिकारियों को लंपी रोग के बारे दिशा-निर्देश जारी किए गए। उसके बाद 16 अगस्त को परे प्रदेश में इस रोग की अधिसूचना जारी की गई। पशुपालन मंत्री ने कहा कि 18 अगस्त से प्रदेश में पशुओं के आवागमन पर रोक लगा दी गई। प्रदेश में लंपी रोग को महामारी घोषित का मामला प्रदेश सरकार ने केंद्र से उठाया। पशुपालन विभाग ने टास्क फोर्स कमेटी भी गठित की जो हर रोज रिपेार्ट ली जा रही है। बावजूद इसके कांग्रेस और अन्य विपक्षी राजनीतिक दल लंपी रोग पर भी राजनीति कर रहे हैं। अब तक 2 लाख 26 हजार 351 पशुओं को लगे टीके पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कवंर ने कहा कि लंपी वायरस को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने पहले दिन से जरूरी कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक 2 लाख 26 हजार 351 पशुओं का टीकारण हो चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य में 24 लाख 638 संवेदलशील पशुओं की संख्या हैं। इनमें लंपी से प्रभावित पशुओं की संख्या 83 हजार 790 हैं। मंत्री ने कहा कि अब तक 41 हजार 776 पशुधन को बचाया गया। लंपी रोग से चार हजार 567 पशुओं की मौत हुई है। वर्तमान में 37 हजार 447 पशु बीमार हैं। वीरेंद्र कवंर ने कहा कि हिमाचल में पशु संक्रमण दर 10 से 20 प्रतिशत हैं और मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत तक हैं। किसानों को कोई खर्चा नहीं देना होगा पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कवंर ने कहा कि लंपी रोग से ग्रसित पशुओं के इलाज के लिए किसानों को कोई भी खर्चा नहीं देना होगा। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल में पशुधन को अधिक नुकसान नहीं हुआ है। प्रदेश के किन्नौर, लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिले में लंपी का कोई मामला नहीं हैं। अन्य जिन जिलों में यह रोग फैला है वहां धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं।
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