News portals-सबकी खबर (गगरेट)
विधवा पुनर्विवाह कानून पारित करवाने वाले ईश्वर चंद्र विद्यासागर की आत्मा भी आज तृप्त हुई होगी। एक महिला जिसके आगे पहाड़ जैसी जिंदगी पड़ी थी, उसके सिर पर सास-ससुर को सफेद रंग ओढ़ा रास नहीं आया तो सास-ससुर ने मां-बाप का फर्ज निभा दिया। जिसे कभी बहू बनाकर अपने घर लाए थे, उसे बेटी बनाकर विदा किया। बेटे की शादी के करीब साढ़े तीन साल बाद ही बेटे के अकस्मात हुए निधन के बाद बहू की सूनी कलाई के साथ किस्मत भी सूनी न रहे, इसके लिए विधवा पुनर्विवाह कानून पारित करवाने के पुरोधा ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक सेवानिवृत शिक्षक के रूप में सामने आए, जिन्होंने बहू को बेटी की तरह अपनाया और उसका कन्यादान कर उसकी सूनी जिंदगी में फिर से रंग भर दिए।
उपमंडल गगरेट के अंबोटा गांव के सेवानिवृत शिक्षक गुलशन कुमार के इकलौते बेटे की शादी करीब पांच साल पहले हुई थी। शादी के बाद उनके बेटे के घर एक बेटी ने जन्म लिया। पूरा परिवार खुशी-खुशी रह रहा था कि किसी की नजर लग गई। घर में अचानक हुई एक दुर्घटना में गुलशन कुमार के बेटे उमेश का निधन हो गया। बेटे के गुजर जाने के बाद सारा परिवार गमगीन हो गया और महज 26 साल की उम्र में विधवा हुई उनकी बहू पूनम उर्फ सिमरन का तो जैसे संसार ही उजड़ गया।
हालांकि गुलशन कुमार खुद शिक्षक रहे, इसलिए बहू को बीए के बाद बीएड भी करवाई, ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन भरी जवानी में पहाड़ जैसी जिंदगी का बोझ लेकर पूनम कैसे आगे बढ़ेगी, इसकी चिंता भी उन्हें सताने लगी। इसी बीच गुलशन कुमार व उनकी पत्नी अंजु ने बड़ा फैसला ले लिया। फैसला यह था कि पूनम की जिंदगी बर्बाद नहीं होने देंगे और बहू को बेटी बनाकर विदा किया जाएगा। गुलशन कुमार के इस निर्णय की लोग जमकर सराहना कर रहे हैं।
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