News portals-सबकी खबर ( संगड़ाह) विस्थापित द्वारा गठित संघर्ष समिति ने एक बार फिर रेणुकाजी बांध प्रबंधन की पेड़ो की गणना जैसे काम शुरू करने की अपील को ठुकरा दिया है। इससे पूर्व गत 3 जनवरी को भी उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले डूब क्षेत्र के सबसे बड़े गांव सींऊ में वन भूमि के पेड़ों की गणना करने गई विभाग की टीम को विस्थापित समिति ने बेरंग लौटा दिया था। बुधवार को परियोजना के वरिष्ठ प्रबंधक व अन्य अधिकारियों को संघर्ष समिति नेताओं ने 2 टूक कहा कि, मांगे पूरी होने तक वह कोई काम नहीं होने देंगे। बुधवार को हुई बैठक में वन विभाग के पेड़ों की गिणती का काम न रोकने का प्रस्ताव परियोजना के वरिष्ठ प्रबंधक कपिल दत्त शर्मा एवं उपप्रबंधक पर्यावरण अंचना बिष्ट आदि ने विस्थापितों के समक्ष रखा, मगर गत 7 फरवरी को परियोजना के जीएम महेंद्र कपूर की तरह वरिष्ठ प्रबंधक को भी विस्थापितों ने दो टूक जवाब दिया। विस्थापितों द्वारा गठित संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला ने कहा कि, जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, पेड़ों की गिनती सहित कोई भी काम नहीं होने दिया जाएगा। बांध प्रबंधन कार्यालय से आए वरिष्ठ प्रबंधक कपिल दत्त शर्मा ने विस्थापितों को आश्वासन देते हुए कहा कि, उनकी मांगों को क्रमवार उपायुक्त सिरमौर एवं हिमाचल प्रदेश सरकार को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि, विस्थापितों की मकान बनाने के लिए 7 लाख से बढ़ाकर 28 लाख कर दिया गया है और एमपीएफ पहचान पत्र व मुआवजे का विस्तृत व्यौरा देने जैसी मांगों पर भी कार्य चल रहा है। इस बैठक में योगिंद्र कपिला के अलावा संघर्ष समिति सदस्य सतपाल तोमर, सुखदेव शर्मा रामस्वरूप शर्मा, मनेन्द्र सिंह, दीवान सिंह कमल, राजेश शर्मा, नागेंद्र सिंह, कमल व सुरेंद्र सिंह आदि भी मौजूद रहे। इससे पूर्व रेणुकाजी बांध महाप्रबंधक तथा विस्थापित समिति के बीच गत 5 फरवरी को हुई बैठक भी बेनतीजा रही। परियोजना के महाप्रबंधक महेंद्र कपूर विस्थापित नेताओं को हाउसलेस परिवारों की सुची 1 माह मे जारी करने का आश्वासन दे चुके हैं। अन्य जानकारी को लेकर महाप्रबंधक ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि, वह अभी व्यस्त हैं।
148 मीटर ऊंचा बांध निगल जाएगा 1508 हेक्टेयर भूभाग
विशेष मुख्य सचिव बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में गत 6 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय नाहन में प्रदेश में हुई पन विद्युत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक मे रेणुकाजी बांध के महाप्रबंधक महेंद्र कपूर ने गिरी नदी पर इस राष्ट्रीय परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया जारी होने की बात कही थी। महाप्रबंधक के मुताबिक वर्ष 2018 में परियोजना का प्राक्कलन 6947 करोड़ रुपये का है। परियोजना परिव्यय का 90% भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। 148 मीटर ऊंचे इस बांध से 1,508 हेक्टेयर क्षेत्र जलमग्न होगा। गौरतलब है कि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना का वर्चुअल शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 27, दिसंबर 2021 में किया जा चुका है तथा परियोजना के लिये भूमि अधीग्रहण का कार्य कर लिया है। कुल 2,800 करोड़ ₹ भूमि अधिग्रहण के एवज में देय है, जिसमें से 1,000 करोड़ रुपये विस्थापित अथवा प्रभावित परिवारों को वितरित किये जा चुके हैं। 630 करोड़ ₹ की राशि वन विभाग को दी जानी है। महाप्रबंधक के अनुसार परियोजना से क्षेत्र की 20 पंचायतों के 41 गांव तथा 7,000 की आबादी प्रभावित होगी जबकि 346 परिवार बेघर हो रहे हैं। गौरतलब है कि, मात्र 40 मेगावाट की इस परियोजना का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है, जबकि अरबों का बजट खर्च हो चुका है। करीब किलोमीटर लंबे इस बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन मार्ग की वैकल्पिक सड़क के लिए भी बजट मिलना शेष है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह रतन शर्मा ने कहा कि, परियोजना द्वारा डीपीआर के लिए वांछित 34 लाख की राशि में से केवल 14 लाख विभाग को जारी किए गए हैं।
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