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बता दे कि प्रस्तावित एशिया की दूसरी सबसे बड़ी बहुउद्देश्य राष्ट्रीय किशाऊ बांध परियोजना का कार्य जल्द आरंभ होने की उम्मीद जताई जा रही है। विगत माह पूर्व बांध स्थल के नजदीक रह रहे ग्रामीण विरोध कर रहे थे। विरोध की वजह से सर्वेक्षण के कार्य में बाधा पेश आ रही थी। शनिवार देर सायं किशाऊ बांध संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमंडल जिला पंचायत अध्यक्ष देहरादून की अध्यक्षता में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला।
प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि वह राष्ट्रहित में बनाई जा रही बहुउद्देशीय किशाऊ बांध परियोजना का विरोध नहीं कर रहे हैं। वह तीन गांव कुवाणु के कृषि योग्य समत्तल भूमि को बचाने में लगे हैं। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि यदि जल विद्युत निगम बांध का बैराज चिन्हित स्थल से पांच किलोमीटर उपर की ओर बनाते हैं, तो बांध भी बन जाएगा और हिमाचल व उत्तराखंड की करीब चार हजार समत्तल कृषि भूमि जलमग्र होने से बच जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में किशाऊ बांध संघर्ष समिति के संरक्षण मुन्ना सिंह राणा, अध्यक्ष मातवर सिंह तोमर, उपाध्यक्ष भगत राम जोशी, सरदार सिंह चौहान, जवाहर सिंह तोमर आदि ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी बात को विस्तारपूर्वक सुना तथा आश्वासन दिया कि यदि संभव हुआ तो कुवाणु पाटन की समत्तल भूमि को बचाने का भरपूर प्रयास करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि वह परियोजना का विरोध नहीं कर रहे हैं उनका मकसद अपनी भूमि को बचाना है। उधर, इस संबंध में यूजेवीएनएल के डीजीएम आदर्श नौटियाल ने बताया कि जैसे शासन के आदेश होंगे वैसे कार्य किया जाएगा। भू-स्वामियों के हितों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
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