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November 15, 2024

बनोर : तिल तिल कर टूटते खतवाड़ गांव की सुध लेने पहुचे डारेक्टर जनरल ऑफ माइनिंग सेफ्टी गाजियाबाद के निदेशक ,चूना पत्थर खदानों पर हो रहे अवैज्ञानिक खनन को त्रासदी के लिए जिम्मेदार ।

News portals -सबकी खबर (पावटा साहिब)   तिल तिल कर टूटते जिला सिरमौर के खतवाड़ गांव की सुध लेने डारेक्टर जनरल ऑफ माइनिंग सेफ्टी गाजियाबाद के निदेशक आखिरकार पहुंच ही गए है। निदेशक संजीव कुमार खतवाड़ गांव के ग्रामीणों की शिकायत पर पहुंचे है। जिस हिम्मत के साथ प्रदेश सरकार ग्रामीणों की शिकायत के महीनो बाद यहां आने की हिम्मत जुटा पाई है। उसी हिम्मत के साथ ग्रामीण आश्वस्त है कि देरी से सही लेकिन इस बार उन्हें न्याय मिल पाएगा।

उल्लेखनीय है कि खतवाड़ गांव पिछले 3 दशकों से तिल तिल कर खाई की तरफ खिसकता जा रहा है। गांव की सैकड़ो बीघा जमीन और छह मकान खाई में समा चुके हैं। लगभग दो दर्जन मकानों में दरारें आ गई है। अधिकतर भवनों की हालत इतनी दयनीय है कि भवनों में सीधा मौत को दावत देना होगा। ग्रामीण दरक चुके भवनों में रहने को मजबूर है। हालांकि ग्रामीण पिछले एक दशक से भी अधिक वर्षों से केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार सहित खनन विभाग के चौखट पर सैकड़ों बार अपनी एडियां रगड़ते आ रहे है। लेकिन प्रयासरत सरकारों के पास राजनीति से बाहर निकलकर ग्रामीणों का दर्द जानने के लिए समय निकालने की कमी नजर आई है। इस बार मीडिया का मामले में हस्तक्षेप हुआ तो प्रशासन, स्थानीय विधायक और सरकार में जिम्मेदार अधिकारों ने खतवाड गांव का दौरा कर गए की हिम्मत जुटाई है।
सूत्रों की माने तो ग्रामीणों को कोई राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे है। बताया जाता है कि गांव को असुरक्षित घोषित कर दिया था बावजूद उसके गांव के पुनर्वास और विस्थापन का कोई प्रयास प्रशासन की तरफ से नहीं किए गए है और तिल तिल करके गांव अपने अस्तित्व की खोज में डूबता जा रहा है।

बताया जा रहा है कि राजनेतिक फेर और चाटुकारों की चाटुकारिता से तंग आकर खतवाड़ गांव के ग्रामीणों ने डायरेक्टर जनरल मीनिंग सेफ्टी गाजियावाद को शिकायत भेजी है। जिसमें ग्रामीणों ने गांव के पास चल रही तीन चूना पत्थर खदानों पर हो रहे अवैज्ञानिक खनन को त्रासदी के लिए जिम्मेदार बताया है। ग्रामीणों का कहना है कि खदानों से निकलने वाले मलबे की अवैज्ञानिक ढंग से डंपिंग की जाती रही है। खदानों पर अवैज्ञानिक ढंग से खुदाई की जाती है। जिसकी वजह से हर साल करोड़ों टन मलवा बरसाती नाले के साथ बहकर गांव के ठीक नीचे कटाव को गहरा करता जा है। ग्रामीणों का आरोप है कि मलबे से लगने वाले कटाव की वजह से गांव के दोनो तरफ गहरी खाई बन गई है। इन खाइयो से बरसात के दिनों में मलबा खिसकता रहता है। जिसकी वजह से गांव की उपजाऊ जमीन और घर नाले की तरफ खिसकते जा रहे हैं। खतवाड़ गांव के ग्रामीण उनके पुनर्वास और नुकसान की भरपाई करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार पर रसूखदारों का दबाव होने के चलते ग्रामीणों को न मुआवजा दिया गया, न खदानों के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई है और न ही ग्रामीणों के पुनर्वास के प्रयास सरकार और प्रशासन द्वारा किए गए हैं।
पंचायत प्रधान कंठीराम ने बताया कि खतवाड़ गांव को नुकसान हो रहा है। इसके लिए सरकार को ग्रामीणों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी गई है। जल्द ही नुकसान उठा रहे ग्रामीण को उचित मुआवजा मिलने की उम्मीद है।
खदानों और प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद डीजीएमएस के डायरेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र का दौरा किया है। पीड़ित ग्रामीणों की समस्याओं और दूसरे पक्ष को भी सुना गया है। इस संबंध में तथ्यों के आधार पर कार्यवाही की जाएगी।

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