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November 23, 2024

निशुल्क बिजली देने से गड़बड़ाया बोर्ड का संतुलन,275 करोड़ पहुंचा घाटा

News portals- सबकी खबर (शिमला)

प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का आर्थिक संतुलन गड़बड़ा गया है। इससे बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है। बोर्ड को सरकार की ओर से हालांकि अनुदान के तौर पर इस वर्ष 750 करोड़ रुपये दिए गए हैं, इसके बावजूद बोर्ड को अपना खर्च पूरा करना मुश्किल हो गया है। जिसकी वजह से  बिजली बोर्ड ने अप्रैल 2023 से बिजली दरें 90 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। लाखों उपभोक्ताओं केे बिजली का बिल झटका दे सकता है। तीन साल से बिजली की दरों में प्रदेश में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बोर्ड को प्रतिमाह करीब 180 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन चाहिए होते हैं। ऐसे में राज्य विद्युत नियामक आयोग में बोर्ड ने याचिका दायर कर अप्रैल 2023 से बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की वकालत की है।प्रदेश के करीब 25 लाख घरेलू और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बिजली बोर्ड सप्लाई मुहैया करवा रहा है।करीब 14 लाख घरेलू उपभोक्ता प्रतिमाह 125 यूनिट से कम बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में इन उपभोक्ताओं के बिल शून्य हो गए हैं। ऐसे उपभोक्ताओं से बोर्ड मीटर रेंट और अन्य सेवा शुल्क भी नहीं ले रहा है। निशुल्क बिजली की एवज में सरकार की ओर से बोर्ड को प्रतिमाह 66 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।31 दिसंबर 2022 तक के लिए सरकार ने इसका भुगतान कर दिया है। मार्च 2022 में विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2022-23 के लिए बिजली बोर्ड की राजस्व जरूरतों को 5,730 करोड़ रुपये आंका था। एक अप्रैल 2023 से नई बिजली दरें प्रदेश में लागू होंगी।बोर्ड प्रबंधन ने आयोग में दायर याचिका को भाजपा सरकार की ओर से प्रतिमाह घरेलू उपभोक्ताओं को दी जा रही 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली से हो रहे राजस्व घाटे के आधार पर तैयार किया है।आठ दिसंबर को घोषित होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों में अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो बोर्ड को याचिका दोबारा से बनानी पड़ेगी। कांग्रेस ने घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने का अपने घोषणापत्र में एलान किया है।राज्य बिजली बोर्ड की कर्मचारी यूनियन खराब माली हालत का हवाला देते हुए सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट बिजली निशुल्क देने का विरोध कर रही है। समय से वेतन और पेंशन की अदायगी न होने से नाराज यूनियन ने इस योजना को सिर्फ जरूरतमंदों तक ही सीमित करने की मांग उठाई है। यूनियन के राज्य महासचिव हीरालाल वर्मा का कहना है कि इस योजना का दायरा घटाने के साथ प्रबंधन को अन्य फिजूलखर्च भी कम करने चाहिए।

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