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November 23, 2024

अमीषा के इलाज को बस चालकों परिचालकों ने दी 22606 की राशि

ब्लड कैंसर से पीड़ित है 7 साल की मासूमNews portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )सोमवार को पांवटा साहिब के बस अड्डा में निजी बस चालक और परिचालक यूनियन पांवटा ने बल्ड केंसर से पीड़ित गिरिपार क्षेत्र की 7 वर्षीय अमीषा के इलाज के लिए 22606 रुपये की सहायता धन राशि दी है । यह सहायता निजी बस चालक और परिचालक यूनियन के अध्यक्ष राजेश ठाकुर और यूनियन के सचिव राजेन्द्र चौहान तथा समाज सेवी और यूनियन के मेंबर टेक चंद की मौजूदगी में यह राशि पीड़ित लड़की के भाई रमन को दी गई । ताकि रमन अपनी बहन का इलाज अच्छे से करा सके । चालक और परिचालक यूनियन के अध्यक्ष राजेश ने बताया कि भविष्य में यदि इस प्रकार की जरूरत किसी भी गरीब परिवार को पढ़ती है तो चालक और परिचालक यूनियन मदद के लिए हमेशा आगे रहेंगे । उन्होंने प्रदेश की जनता व जिला स्तर की युनियन से अपील की है कि वह ऐसे गरीब परिवार की सहायता के लिए तत्पर रहें ।बता दे कि निजी बस चालक परिचालक यूनियन ने इससे पहले भी ऐसे कई गरीब परिवारों की सहायता के लिए धनराशि इकट्ठा कर गरीब परिवार को सौंपी है ताकि गरीब परिवार को सहायता मिल सके । हालांकि रमन ने सोशल मीडिया पर सहायता करने वाले लोगों से अपील की है कि अब उनके खाते में धनराशि इकट्ठा ना करें । उनके खाते में सात लाख 50 हजार के करीब इलाज के लिए धन राशि इकट्ठी हो चुकी है । अमिषा का इलाज पीजीआई चंडीगढ़ में चल रहा है ।

गौरतलब हो कि शिलाई विधाननसभा क्षेत्र के कांटी मशवा पंचायत (खील गांव) के रमन कुमार की छोटी बहन को ब्लड कैंसर है और बहन के इलाज के लिए दिन रात मजदूरी करने वाला भाई खुद भी न्यूरो की बीमारी से ग्रस्त है। पर होंसला नही हार रहा। रमन को चंद महीने पहले ये पता चला कि 7 साल की बहन अमिषा को ब्लड कैंसर की गंभीर बीमारी है। आनन-फानन में पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया। पिता दिहाड़ी करें या बेटी की देखभाल। यही नहीं, रमन खुद भी न्यूरो की बीमारी से पीड़ित है।7 साल की बहन के कैंसर के इलाज की खातिर रमन दिहाड़ी करने को मजबूर हुआ। बावजूद इसके काॅलेज भी जा रहा है, साथ ही दिहाड़ी लगाकर चंद रुपए भी कमा रहा है। एक जगह रोजाना 8 घंटे की नौकरी करने के बाद 10 दिन की पगार महज 1 हजार मिली थी। बेशक ही अपनी दास्तां सुनाते-सुनाते रमन की आंखों में आंसू आ जाते हैं, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारता। जब भी अवसाद हावी होने लगता है तो अपनी डायरी में जीवन की कठिन परीक्षा की क़ड़वी सच्चाई को शब्दों में उकेर देता है। ऐसे मे एक युवा के उज्जवल भविष्य को अंधकार में बदलने से पहले सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद सहायता करने वाले लोगो ने 7 लाख 50 हजार की राशि रमन के पिता इदर के खाते में भेज दी थी ताकि केंसर से पीड़ित बच्ची का इलाज हो सके ।

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