News portals-सबकी खबर (कांगड़ा )
चीनी उत्पादों के बायकाट का असर आने वाले दशहरे और दीपावली पर भी देखने को मिलेगा। इस बार आतिशबाजी का कारोबार करने वालों ने मेड इन इंडिया पटाखों और खिलौनों को ही तरजीह दी है। हालांकि बाजारों में बहुत सारा सामान अब भी मेड इन चाइना डंप पड़ा है, लेकिन व्यापारी और ग्राहक दोनों ने ही इससे नाता तोड़ लिया है।
कांगड़ा में आतिशबाजी का सीजनल कारोबार करने वाले अनिल कुमार कहते हैं कि हालांकि चीन के माल में चार पैसे की बचत तो हो जाया करती थी, लेकिन जबसे भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उपजा है, उसका असर बाजार पर भी पड़ा है। लद्दाख में गत महीनों हुई झड़प को भी वे याद करते हैं, जहां भारत के 20 जवान इस दौरान शहीद हो गए थे। खैर व्यापार पर इसका असर तभी से पडऩा शुरू हो गया था, जब केंद्र सरकार ने चीन की कई मोबाइल एप्लीकेशन को बैन कर दिया था।
अब जबकि त्योहारी सीजन सिर पर है, तब भी स्थानीय व्यापारी देश में ही बनी वस्तुओं पर भरोसा जताने लगे हैं। उनका कहना है कि देश में बनी वस्तुओं को बेचने पर मुनाफा अधिक तो नहीं मिलता है, लेकिन भरोसा बना रहता है। व्यापारियों को सिर्फ यही आशंका है कि इस बार कोरोना के चलते बाजारों में रौनक कम नजर आ रही है। लिहाजा त्योहार पर कितनी बिक्री होगी, यह कोई नहीं बता सकता। फिर भी उन्हें उम्मीद है कि लोग बाहर निकलेंगे। पटाखा व्यापारी के अनुसार इस बार का माल विगत वर्ष की तुलना में कुछ महंगा मिला है, मगर वे ग्राहक के भरोसे है कि अगर बिक्री ठीक हुई, तो घाटा भी नहीं होगा। उनका तर्क है कि क्योंकि आतिशबाजी सालाना एक ही बार होती है और ऐसे में अगर सामान बच जाए, तो उसे साल भर संभाला नहीं जा सकता। इसी तरह अन्य वस्तुओं की बात की जाए, तो इस बार चीन में बनी चीजें बाजार से लगभग गायब हैं।
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