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हिमाचल प्रेदश में मनरेगा के तहत मजदूरी करने वाला हजारो मजदूरो कि मजदूरी रोक दी गई है बताया जा रहा है कि । केंद्र ने मनरेगा के तहत करीब 200 करोड़ का बजट रोक दिया है। अकेले 100 करोड़ तो लेबर कंपोनेंट के ही रोके गए हैं। मैटीरियल का बजट भी अभी नहीं आया है। कई जगह तो तीन महीने से भुगतान नहीं हो पाया है। इससे मनरेगा से गुजारा करने वाले गरीब लोग परेशान हैं। देरी से भुगतान करने की स्थिति में हिमाचल सरकार को मनरेगा कामगारों को ब्याज भी देना पड़ेगा।
बेशक, मनरेगा को मांग आधारित योजना के रूप में प्रचारित किया जा रहा हो और मनरेगा एक्ट 2005 के अनुसार 15 दिन के भीतर दिहाड़ी का भुगतान करना होता है, वरना कामगारों को ब्याज भी देना होता है। इस एक्ट के तहत काम मांगना लोगों के लिए परेशानी बन गया है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में लोगों ने मनरेगा के तहत काम किया। कहीं भूमि सुधार किया तो कहीं पक्के रास्ते बनाए। कहीं पानी के टैंक बनाए तो कहीं पर घरों के सामने या खेतों में दीवारें दीं। तीन महीने से ऊपर वक्त बीत गया है। लोगों को उनका यह मेहनताना नहीं मिल पा रहा है। सभी जिलों में ये हालात बने हैं।
उधर ,हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक रुग्वेद मिलिंद ठाकुर ने कहा कि राज्य में लक्ष्य से ज्यादा काम हुआ है, उसी से निर्धारित से ज्यादा बजट खर्च हो रहा है। इसीलिए मनरेगा का भुगतान लेट हो रहा है। इस पूरे वित्तीय वर्ष के लिए हिमाचल को 2 करोड़ 50 लाख मानव दिवस का लक्ष्य दिया गया था, वहीं अगस्त तक ही 2 करोड़ 7 हजार मानव दिवस का लक्ष्य पूरा हो गया।
अगस्त तक 1 करोड़ 25 लाख मानव दिवस का लक्ष्य ही निर्धारित था। ऐसे में भारत सरकार से लगभग 100 करोड़ लेबर कंपोनेंट का इंतजार है। बाकी मैटीरियल कंपोनेंट का बजट अलग है। हालांकि, मैटीरियल कंपोनेंट बड़ा मामला नहीं है। इसका समाधान हो जाता है। यह मामला भारत सरकार के समक्ष उठाया गया है। इस बारे में जल्द समाधान होने की उम्मीद है।
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