News portals -सबकी खबर (नाहन) केंद्रीय हाटी समिति ने गिरिपार क्षैत्र में जनजातीय अधिनियम लागू न करने पर प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन की चिंगारी जला दी है। गिरिपार क्षैत्र के सैकड़ों लोगों सहित केंद्रीय हाटी समिति ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जिला मुख्यालय में रोष रैली निकालकर प्रदेश सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। केंद्रीय हाटी समिति सहित गिरिपार क्षैत्र के लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार ने लगभग 4 महीने पहले गिरिपार क्षैत्र में रह रहे लोगों को उनकी मांग और जरूरत के मुताबिक जनजातीय क्षैत्र का दर्जा दिया है। और केंद्र सरकार ने तत्काल जनजातीय नियम लागू करने के आदेशों के साथ लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के आदेश हिमाचल प्रदेश सरकार को दिए है। इसलिए यहां गिरिपार क्षैत्र के लोगो सहित केंद्रीय हाटी समिति ने प्रदेश सरकार पर लोगों की अनदेखी और राजनीति करने के आरोप लगाए है। लोगों ने प्रदेश सरकार और सरकार में बैठे मंत्रियों पर राजनीति रोटियां सेंकने के आरोप लगाकर प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की है। और यदि एक सप्ताह के अंदर गिरिपार क्षैत्र में जनजातीय अनिधियम लागू नहीं होता है तो प्रदेश के अंदर उग्र आंदोलन का अल्टीमेटम दिया गया है।उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर के गिरिपार क्षैत्र को जनजाति दर्जे पर देश के राष्ट्रपति ने लगभग चार महीने पहले मुहर लगाई है। राज्यसभा से बिल पारित होने के आठ दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 अगस्त को हस्ताक्षर कर गिरिपार क्षैत्र को जनजातीय दर्जे की मंजूरी दी है। इसमें 154 पंचायतों की लगभग दो लाख से अधिक की आबादी को जनजातीय क्षैत्र के लाभ मिलने है। सरकार ने गिरिपार क्षैत्र में रह रही हाटी जनजाति को प्रदेश की जनजातियों वाली सूची में 11वें स्थान पर शामिल करने की गजट अधिसूचना भी जारी की है। केंद्र सरकार के मुताबिक 16 दिसंबर 2022 को यह बिल लोकसभा से पारित हुआ है। इससे पहले 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिल को मंजूरी दी थी।क्षेत्रीय लोगों की माने तो उनका कहना है कि प्रदेश की सत्तासीन सरकार जनता की हितेषी नही है। यह केवल राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए क्षेत्रिय लोगों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है। क्षैत्र की जनता के लिए प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से भी बड़ी हो गई है। प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के कानूनों को नहीं मान रही है और जनता को गुमराह कर रही है। लोगों ने बताया कि जब कोई कानून बनता है तो उसे तुरंत लागू किया जाता है। और जब जनता उसकी खामियां बताती है तो उसके बाद उसमे तब्दीली सरकार द्वारा लाई जाती है। लेकिन यह भारत देश का पहला ऐसा मामला सामने आया है जिसमे सरकार को लागू करने से पहले ही खामियां नजर आ रही है।प्रदेश सरकार की मंशा केवल राजनीति करना है। प्रदेश का विकास करना मंशा नहीं है। इसलिए क्षैत्र की जनता अब प्रदेश सरकार की कुटिल और होछी राजनीति के खिलाफ आंदोलन करने के लिए तैयार है। यदि प्रदेश सरकार ने अधिक अनदेखी की तो प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया जाएगा साथ ही सरकार में बैठे सत्तासीन नेताओं का क्षेत्र में प्रवेश होने का भी वहिष्कार किया जाएगा।
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