News portals-सबकी खबर (शिमला )
कुल्लू में बादल फटने से हुए नुकसान और बरसात की आपदाओं पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला से सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों से ऑनलाइन बैठक की। इसमें आदेश दिए गए कि पूरे प्रदेश में नदी और नालों के किनारे से कैंपिंग साइट्स और झुग्गियां इत्यादि हटाई जाएं। किसी भी हादसे पर जिला प्रशासन आधे घंटे के अंदर स्पॉट पर पहुंचे या प्रतिक्रिया दें। साथ ही सेब सीजन और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट रखा जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को भारी बारिश के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति में आपदा प्रबंधन के लिए पूर्ण तैयारियां करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भूस्खलन और अन्य तरह की आपदा के दृष्टिगत संभावित स्थलों में पर्याप्त संख्या में लोग एवं मशीनरी तैनात की जाए। उन्होंने प्रदेश में नदियों के किनारे स्थित कैंपिंग स्थलों पर सुरक्षा के मद्देनजर समुचित कदम उठाने के निर्देश दिए। आपदा प्रबंधन से संबंधित किसी भी कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए जिला व उपमंडल स्तर पर त्वरित प्रक्रिया दलों तथा आपातकालीन परिचालन केन्द्रों को 24 घंटे कार्यशील रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना की स्थिति की भी विस्तृत समीक्षा की। उमुख्यमंत्री ने सभी जिलों के उपायुक्तों से आपदा प्रबंधन की तैयारियों और कोरोना की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी ली। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुभासीष पांडा, मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं प्रधान निजी सचिव डा. आरएन बत्ता, मिशन निदेशक एनएचएम हेमराज बैरवा मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित थे, जबकि मुख्य सचिव रामसुभग सिंह बैठक में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
पर्यटकों को खतरे की प्रति अलर्ट करें अधिकारी
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि पर्यटकों को आपदा संभावित स्थलों में जाने के संबंध में सावधानी बरतने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि पर्यटकों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जयराम ठाकुर ने उपायुक्तों को प्रदेश में सेब सीजन के दृष्टिगत भी सभी तैयारियां समयबद्ध पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यातायात परिचालन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए समयबद्ध कदम उठाए जाएं, ताकि बागबानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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