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November 24, 2024

चीन ने माना कि उसका कमांडिंग आफिसर मारा गया, कुछ सैनिक हताहत हुए

दोनों देशों ने तैनात किए फाइटर जेट और जंगी हेलीकॉप्टर
सैन्य कमांडरों की वार्ता से शायद निकले राह, कूटनीतिक, राजनयिक चर्चा भी तेज
चीन ने माना कि उसका कमांडिंग आफिसर मारा गया, कुछ सैनिक हताहत हुए
विस्तार

News portals-सबकी खबर (नई दिल्ली )
लद्दाख में भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक हुई। बातचीत का मुख्य विषय दोनों देशों के बीच में टकराव को कम करके शांति बहाली के प्रयास करना, सहमति बनाना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने अपने-अपने दावे किए। चीन के सैन्य कमांडर ने स्वीकार किया कि 15 जून को हुई हिंसक झड़प में केवल भारत के ही कमांडिंग आफिसर समेत तमाम सैनिक शहीद और घायल नहीं हुए हैं, बल्कि नुकसान चीन को भी हुआ है।
चीन का भी कमांडिंग आफिसर हिंसा के दौरान मारा गया। बातचीत के नतीजों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई, लेकिन बताते हैं कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। चीनी पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने पर अड़ा है।


दोनों देशों ने सीमा पर तैनात किया फौज का जमावड़ा
भारत के अग्रिम फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई, मिराज, मिग-29, जगुआर और चिनूक हेलीकाप्टर (जंगी) चीन से लगती हुई सीमा पर तैनात हैं। हालांकि भारतीय सुरक्षा बलों ने यह कदम रक्षात्मक ही उठाया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब वाले दर्जन भर वायुसैनिक अड्डे पर वायुसेना किसी भी चुनौती से निबटने का इंतजार कर रही है। इसी के सामानांतर अमेरिका से आई मीडियम रेंज होवित्जर, बोफोर्स तोप भी किसी भी स्थिति से निबटने में सक्षम है।

उत्तराखंड, लद्दाख, हिमाचल से लगती सीमा, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश से लगती सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों ने निगरानी बढ़ा दी है। अरुणाचल प्रदेश में तवांग और चीन से सटे क्षेत्र की निगरानी, सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के करीब 50 हजार सैन्यबल तैनात है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए माउंटेन डिवीजन को भी सतर्क किया गया है। भारत की यह तैयारी चीन की तैयारी को देखते हुए है।

चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपना सैन्य जमावड़ा काफी बढ़ा रखा है। चीन की फौज ने पैंगोंग त्सो झील के पास स्थाई बंकर, सैन्य संरचना आदि खड़ी कर ली है। फिंगर 4 से 8 तक वह भारतीय सुरक्षा बलों को गश्त करने के लिए जाने नहीं दे रहे हैं और गलवां घाटी इलाके में भारतीय भू-भाग को पूरी तरह से खाली नहीं किया।

इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण के चीन के भू-भाग तक सैनिकों, भारी सैन्य वाहन आदि का काफी जमावड़ा है। भारतीय वायुक्षेत्र में भारत के तो चीन के क्षेत्र में उसके जंगी जहाज, हेलीकाप्टर उड़ान भर रहे हैं।

चीन ने हाल में तिब्बत के इलाके में सैन्य अभ्यास किया है। सैन्य सूत्र बताते हैं कि वहां से भी उसे सैन्य बलों की तैनाती लद्दाख की तरफ कर दी है। इसके अलावा उत्तराखंड से सटे चीनी क्षेत्र, सिक्किम में नाथू लॉ के उस पार से लेकर डोकलाम तक चीनी सेना की भारीभरकम मौजूदगी है।
स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में
भारतीय सेना और कूटनीति, राजनयिक गलियारे के सूत्र तथा कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी और विदेश सेवा के अधिकारियों को स्थिति काफी तनावपूर्ण दिखाई पड़ रही है। हालांकि सैन्य सूत्रों के हवाले से आ रही सूचना के मुताबिक स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन नियंत्रण में है।

बताते हैं कि भारत, चीन समेत अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ तनाव, टकरावपूर्ण रिश्ते का पक्षधर नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समकक्ष चीन के विदेश मंत्री वांग यी को साफ तौर पर इसे बता दिया है।

वांग यी ने भी एस जयशंकर से कहा है कि उनका देश किसी तरह का टकराव आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए दोनों देशों ने राजनयिक संपर्क को तेज कर दिया है।

सोमवार को लद्दाख में हुई कमांडर स्तर की बातचीत राजनयिक स्तर पर बन रही सहमति के तहत हुई है। इस तरह की वार्ता आगे जारी रहने के आसार हैं।
स्थाई सैन्य स्ट्रक्चर खड़ा करना पड़ेगा
भारतीय सैन्य सूत्रों का कहना है कि चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भले की कूटनीतिक, राजनयिक या राजनीतिक प्रयासों से एक बार तनाव कम हो जाए, लेकिन घुसपैठ का खतरा बना रहेगा। इसलिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के महत्वपूर्ण ठिकानों पर अब स्थाई सैन्य स्ट्रक्चर, निगरानी की मजबूत व्यवस्था बनानी होगी।

ठंड से कंपकपा देने वाले लद्दाख के सामरिक क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती के लिए न केवल संसाधन खड़ा करने की चुनौती बढ़ी है, बल्कि सैनिकों के कपड़े, जूते, हथियार समेत अन्य के लिए तेजी से प्रयास करना होगा।

सैन्य सूत्र बताते हैं कि पांच मई को हुई सैनिकों की पहली झड़प के बाद ही सेना ने 5000 हजार सैनिकों के लिए विशेष तरह की वर्दी का आर्डर दे दिया था। अब इन क्षेत्रों में स्थाई बंकर, स्थायी निगरानी चौकी की संख्या बढ़ाने आदि की जरूरत महसूस की जा रही है।
टकराव से अलग भी हैं भारत और चीन के आपसी हित
एनएसए अजीत डोभाल ने दोनों देशों के बीच में डोकलाम में 73 दिनों तक सेना के आमने-सामने रहने पर इस संदेश का सहारा लिया था। अपने चीनी समकक्ष और सुरक्षा सलाहकार से कहा था कि डोकलाम के सिवा भारत और चीन के तमाम आपसी साझे हित हैं।

बताते हैं इसके बाद भारत और चीन के बीच में भूटान के क्षेत्र डोकलाम में तनाव के घटने की राह बनी थी। भारत ने इसे तब अपनी बड़ी कूटनीतिक जीत बताया था। समझा जा रहा है कि राजनयिक स्तर पर एक बार फिर इसी तरह के रास्ते से शांति का रास्ता खोजने का प्रयास शुरू हो चुका है।

हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भारत और चीन दोनों देशों के राजनयिकों का बड़ा वर्ग मानता है कि टकराव में दोनों की भलाई नहीं है। चीन हार्डवेयर का मास्टर है, तो भारत साफ्टवेयर का।

कूटनीति के जानकारों को भरोसा है कि जल्द ही कोई रास्ता निकल आएगा। दोनों देश तनाव कम करने की नीतियों को अमल में लाएंगे।

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