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शिंकुला टनल के हवाई सर्वे को अंजाम देने के लिए दूसरे दिन भी चिनूक ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी। मंगलवार सुबह करीब सात बजे ही भुंतर हवाई अड्डे से जहां चिनूक ने लाहुल के लिए उड़ान भरी, वहीं सटींगरी हेलिपैड से चिनूक 500 किलो वजनी एंटीना लेकर शिंकुला की तरफ रवाना हुआ। सर्वे कर रही कंपनी के विज्ञानिकों के दल के साथ उड़े चिनूक ने जहां इस दौरान शिंकूला दर्रे को पूरी तरह नापा, वहीं शिंकुला दर्रे का एयरबोर्न इलेक्ट्रो मेग्नेटिक सर्वे भी किया गया। अगामी पांच दिन तक चलने वाले सर्वे में हर उस चीज का अध्ययन किया जाएगा, जो शिंकुला दर्रे पर टनल के रास्ते में आएगी। यही नहीं, एयरबोर्न इलेक्ट्रो मेग्नेटिक सर्वे की एक रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों को भी सौंपी जाएगी। हालांकि अभी सर्वे की शुरुआत ही की गई है।
बता दें कि सबसे अधिक ऊंचाई पर बनाई जाने वाली दुनिया की सबसे लंबी ट्रैफिक टनल के हवाई सर्वे के लिए सेना के ताकतवर हेलिकाप्टरों में शामिल चिनूक का चयन किया गया है। चिनूक 500 किलो वजनी एंटीना को लिफ्ट कर जहां सर्वे को अंजाम दे रहा है, वहीं हेलिकाप्टर में कई आधुनिक उपकरण भी सर्वे के लिए लगाए गए हैं, जिनकी मदद से विशेषज्ञ शिंकुला दर्रे का डाटा जुटा रहे हैं। झांस्कर रेंज में प्रस्तावित 13.5 किलो मीटर लंबी शिंकुला टनल का चिनूक हेलिकाप्टर का मदद से एयरबोर्न इलेक्ट्रो मेग्नेटिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे की यह प्रक्रिया करीब एक सप्ताह तक जारी रह सकती है। शिंकुला टनल बनने से मनाली-कारगिल की दूरी करीब 250 किलोमीटर कम हो जाएगी। सफर में लगभग एक दिन का समय कम हो जाएगा। टनल को सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सेना किसी भी मौसम में सरहदों तक पहुंच सकेगी।
अटल टनल की तरह हाईटेक होगी सुरंग
आमतौर पर सर्दियों में बर्फबारी के चलते मनाली-लेह मार्ग बंद हो जाता है। हालांकि अटल टनल बनने से लाहुल तक पहुंचना अब आसान हो गया है, लेकिन लेह जाने की दिशा में यह टनल सेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी। शिंकुला टनल के सर्वे का काम राइट्स कंपनी कर रही है। टनल राष्ट्रीय उच्च मार्ग अधोसंरचना विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरी की जाएगी। शिंकुला दर्रे पर बनने जा रही 13.5 किलोमीटर लंबी टनल अटल टनल जैसी हाईटेक होगी।
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