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रेणुकाजी बांध जन संघर्ष समिति की बैठक समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में विस्थापितों से जुड़ी समस्याओं तथा गत 21, नवंबर को जामू-कोटी में आयोजित जनमंच में उर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के समक्ष रखी गई मागों को लेकर चर्चा की गई। ददाहू मे मंगलवार को हुई इस बैठक के उपरांत संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला व प्रताप सिंह तोमर, पूर्ण चंद शर्मा तथा संजय चौहान आदि पदाधिकारियों ने रेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक रूपलाल व अन्य अधिकारियों से मुलाक़ात कर अपनी मांगे दोहराई। समिति पदाधिकारियों ने बयान मे कहा कि, ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी द्वारा दिए आश्वासन के बावजूद बांध प्रबंधन पेरा-55 तथा एमपीएफ कार्ड को देने में देरी कर रहा है। बैठक के दौरान बांध प्रबंधन द्वारा विस्थापितों से जमीन संबंधित एफिडेविट मांगे जाने पर संघर्ष समिति ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, वह किस प्रकार निर्धारित कर सकते हैं कि, उनके नाम कितनी जमीन है।
समिति पदाधिकारियों ने कहा कि, जो लोग डूब क्षेत्र में खेती कर रहे हैं, उन सभी को पूर्ण विस्थापित का दर्जा मिलना चाहिए। उनके लिए रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि यह परिवार अपना जीवन यापन कर सकें। इसके अलावा गृह विहीन परिवारों को शहरी इलाकों मे कालोनी बना कर देना तथा भूमिहीन किसानों को कृषि योग्य जमीन देने बारे चर्चा की गई। संघर्ष समिति ने बांध प्रबंधन के साथ हुई बैठक के दौरान चर्चा करते हुए कहा कि, बांध प्रबंधन आगामी 27, दिसंबर को बहुआयामी रेणुका बांध परियोजना के शिलान्यास की तैयारियों में जुटा है, मगर विस्थापितों की किसी भी समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि, 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध के लिए वर्ष 2008 मे भूमि अधिग्रहण किए जाने के बाद हालांकि विस्थापितों को मुआवजा जारी हो चुका है, मगर अब तक बांध निर्माण, विस्थापितों के पुनर्वास व बांध से डूबने वाले 7 किलोमीटर संगड़ाह-रेणुकाजी मार्ग की वैकल्पिक सड़क के लिए बजट का प्रावधान होना शेष है।
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