News portals-सबकी खबर ( शिमला ) भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 11 महीनों में 12,000 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। काग्रेस की सरकार ने हर महीने औसतन 1000 करोड़ रुपए का ऋण लिया। राज्य के विकास और जनता के हित की योजनाओं में इनमें से एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है। आरटीआई के माध्यम से निकाली गई सूचना की मानें तो 10 महीने में हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 10,300 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है, वहीं 1000 करोड़ का लोन इसने अन्य संस्थाओं से लिया है। इस दौरान न कोई नया संस्थान खोला गया और न ही पुराने संस्थानों को अपग्रेड किया गया।
चेतन बरागटा ने कहा कि अपने ऐशो आराम के लिए लोन लेना काग्रेस सरकार की पुरानी आदत रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान लगातार तथ्यहीन ब्यानबाजी कर रहे है। हर नए दिन झूठी मनगढ़ंत ब्यान बाजी कर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे है। उनकी जानकारी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए ऋण के आँकडे साझा कर रहा हूँ, 2012 में भाजपा सरकार के समय तक प्रदेश पर मात्र 29 हजार करोड़ का लोन था। काग्रेस की सरकार बनते ही काग्रेस ने अपने कार्यकाल 2012 से 2017 तक लोन को 29 हजार करोड़ से 48 हजार करोड़ पहुँचा दिया। भाजपा कार्यकाल 2017 से 2022 तक सिर्फ 48 हजार करोड़ से 63 हजार करोड़ लोन पहुँचा।
कहने का तात्पर्य यह है कि कांग्रेस के कार्यकाल में प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए लोन में 66% की वृद्धि हुई, जबकि भाजपा कार्यकाल में मात्र 31% की।आप खुद ही तय कर ले कि प्रदेश को कर्ज के दलदल में किस सरकार ने धकेला।
भाजपा ने आशंका जताई है कि ऋण लेने का क्रम इसी तेज़ी से जारी रहा तो 5 साल में ये सरकार 60,000 करोड़ रुपए से भी अधिक का लोन लेकर हिमाचल प्रदेश को कंगाली की तरफ धकेल देगी। एक तरफ काग्रेस सरकार पैसों की कमी का रोना रोती है, वहीं दूसरी तरफ नियम-कानूनों को ताक पर रख कर कई मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर दी जाती है। कैबिनेट रैंक के कई नए पद गठित कर के उन पर मनपसंद व्यक्तियों को बिठा देने का आरोप भी लगा है। भाजपा का कहना है कि इन्हीं लोगों के ऐशोआराम पर 11,000 करोड़ रुपए ऋण लेकर खर्च किया गया है।
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