News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
लोग अस्पताल में ठीक होने आते हैं, लेकिन जो हालत राजपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है उससे यहां ठीक मरीज भी बीमार हो जाएं। यह बात कांग्रेस नेता अनिंद्र सिंह नौटी सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं ने केंद्र का दौरा करने के बाद कही। मौके पर पहुंचे कांग्रेसी नेताओं ने तस्वीरें शेयर करते हुए बताया कि यह तस्वीरें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजपुर आंजभौज की हैं। ज्यादातर नेता भी पांवटा सिविल अस्पताल का दौरा करके और फोटो खिंचवा कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, लेकिन ग्रामीण अंचल में स्थित इस महत्त्वपूर्ण अस्पताल की अभी तक किसी ने सुध नहीं ली। मौके पर पाया कि मरीजों के लिए उपलब्ध बैड के गद्दे व चादरें बुरी तरह से फटी हुई हैं।
खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। महिला शौचालयों की हालत अतिदयनीय है। अधिकतर उपकरण या तो इस्तेमाल नहीं हो रहे या इस्तेमाल के योग्य ही नहीं हैं। पिछले दिनों जो ब्लॉक मेडिकल आफिसर यहां नियुक्त थे उन्होंने दो वर्ष में एक भी मीटिंग रोगी कल्याण समिति की नहीं बुलाई और यदा-कदा ही यहां पहुंचे। अस्पताल की 12 लाख रुपए से अधिक राशि बिना खर्च के पड़ी रही। नौटी ने कहा कि उन्होंने और उनके कुछ स्थानीय युवाओं द्वारा बार-बार इस मुद्दे को उठाया गया। एसडीएम तथा जिला चिकित्सा अधिकारी से इस बारे में मिले। ज्ञापन दिया तब कहीं जाकर रोगी कल्याण समिति की बैठक हुई और कम से कम कुछ काम शुरू हो सके। यहां पर नियुक्त एकमात्र महिला डाक्टर और बाकी कर्मचारियों की तो गलती नहीं निकाली जा सकती, क्योंकि यहां पर आधारभूत संरचनाओं और सुविधाओं की ही बहुत कमी है।
यह बहुत पुराना अस्पताल है और उस समय इसके लिए बेशकीमती भूमि दान करने वाले राजपुर निवासी लाला माम चंद के परिवार और उनकी व्यथा सुनने लायक है जिनको यह लगता है कि उनके द्वारा किया गया इतना बड़ा बलिदान सुविधाओं के अभाव में व्यर्थ ही पड़ा है। शुरू से इस अस्पताल की हालत दयनीय नहीं थी। यहां बहुत अच्छा भवन बना, सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई और डाक्टर भी रहते थे। इस अस्पताल को खुलवाने का श्रेय स्व. ठाकुर गुमान सिंह को जाता है। अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज तो छोडि़ये यहां पर बहुत साधारण से साधारण बीमारियों के इलाज के लिए भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकता। मरीज भी बिस्तर पर लेटने से अच्छा सरकारी बैंच को साफ-सुथरा पाते हैं और वहीं लेटने में अपनी भलाई समझते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय नेताओं की यह बेरुखी समझ से परे है।
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