News portals-सबकी खबर (शिलाई ) शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिये जाने की अधिसूचना जारी होने पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि छह दशक से ज़्यादा लंबी लड़ाई आज निर्णायक स्थिति में पहुंची और हमें हमार हक़ मिला। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के हर प्रकार के सहयोग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के आशीर्वाद के बिना असंभव थी। कांग्रेस ने हमें हमारे हक़ से दूर रखने का हर संभव प्रयास किया। राष्ट्रपति महोदया द्वारा क़ानून पास होने के बाद भी उसे पांच महीनें तक लटकाए रखा। जिस स्पष्टीकरण की मांग को लेकर यह बिल अटकाया गया था उसका पूरास्पष्टीकरण जयराम सरकार के समय बनाए गए ड्राफ्ट में मौजूद था। सरकार की इस लेट लतीफ़ी की वजह से हज़ारों युवाओं के भविष्य साथ खिलवाड़ हुआ। हाटी समुदाय को जनजातीय घोषित करने से इस क्षेत्र की ढाई लाख लोग लाभान्वित होंगे।
बलदेव तोमर ने कहा कि यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। जो हक़ राजनीतिक रसूख़ कारण जौनसार बाबर को 56 साल पहले मिल गया था, वह हमें बीजेपी के कारण आज जाकर मिला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सभी का आभार जताते हुए कहा कि सभी के सहयोग के बिना यह लड़ाई संभव नहीं थी।
जयराम सरकार में शुरू हुआ युद्ध स्तर पर काम और मिली मंज़िल
बलदेव तोमर ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की पहल बीजेपी ने शुरू की थी। गिरिपार की कठिन परिस्थिति को देखते हुए सबसे पहले 2009 के घोषणापत्र में शामिल किया और अब इसे अंजाम तक पहुंचाया। गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की दिशा में सबसे अहम कार्य वर्ष 2017 में जयराम सरकार ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में जयराम ठाकुर ने एक नोडल एजेंसी का गठन किया। जिसमें अहम भूमिका अदा करते हुए सभी शोध पत्रों को एकत्रित कर क्षेत्र की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्तर पर हर पहलू को जांचा परखा और वर्ष 2021 में तत्काल इस रिपोर्ट को हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट द्वारा केंद्र सरकार को भेजा गया। जिस पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तुरंत संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को तत्काल कार्यवाही कर हाटी जनजाति को 13 अप्रैल 2022 को एक कबीले के रूप में पंजीकृत किया। इसके बाद 16 दिसंबर 2022 को केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा से 26 जुलाई 2023 को राज्यसभा से भी पारित होने के बाद 04 अगस्त को राष्ट्रपति महोदया द्वारा अनुमोदित कर दिया गया।
56 साल पहले मिल जाना चाहिए था हक़
बलदेव तोमर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का गिरीपार क्षेत्र भौगोलिक रूप से अत्यंत दुर्गम क्षेत्र है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से हार्टी समुदाय के लोग रहते हैं। भौगोलिक रूप से दुर्गम इस क्षेत्र के लोगों की 57 वर्षों से यह मांग थी कि गिरिपार क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्र घोषित किया जाए क्योंकि यह कबीला उन सभी मानकों को पूरा करता है जो जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के लिए अपरिहार्य हैं। लेकिन तत्कालीन सरकारों के द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया। जबकि उसी से सटे हुए क्षेत्र जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिल गया था। उन्होंने कहा हाटी समुदाय को यह दर्जा 1968 में ही मिल जाना चाहिए था जब उत्तराखंड के जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को मिला था क्योंकि हाटी समुदाय और जौनसारी समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक के साथ ही भौगोलिक समानता भी थी। तब गिरिपार के साथ अन्याय हुआ था।
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