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November 22, 2024

कोरोना वायरस : गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष बिशु मेलों पर भी रोक

गिरिपार  क्षेत्र में हर वर्ष मनाए जाने वाले बिशु मेला इस वर्ष बिशु मेलों पर भी रोक लग गई है। विशव्यापी कोरोना महामारी के चलते समूचा क्षेत्र लॉकडाउन है तथा क्षेत्र के मंदिरों, देवठीयों मे ताले लटके पड़ें हैं। सोशल डिस्टेन्स सहित जरूरी एहतियात के तौर पर सभी कार्यक्रमों को रद्द किया गया है। ऐसे में इस वर्ष लोगों को अपने घरों के अंदर ही बिशु मेलों सहित बैसाखी पर्व का आनंद लेना होगा।

गिरीपार  सहित उत्तराखंड प्रदेश के भाबर-जोनसार क्षेत्र मे सभी जातियां दो खूंदो (शाठी,पाशी) में विभाजित हैं। इनके विशिष्ट त्यौहार हैं जो भारतीय विशिष्ट कैलेंडर आधार पर आते हैं। बैसाख की संक्रांति के पहले दिन स्थानीय देवताओं की अर्चना के साथ बिशु मेले का शुभारंभ होता है यह मेले आंचलिक रहते हैं तथा निर्धारित जगहों पर मनाए जाते हैं। देखशभर में मशहूर नैनिधार, शरली, कफोटा, सतोंन, बालधार, उत्तराखंड प्रदेश के देलुडंड, मोकबाग, चोली सहित अन्य जगहों पर माहभर बिशु मेलों का दौर रहता है तथा गिरीखंड के चांदपुरधार मेले के साथ बिशु मेलों का समापन हो जाता है। बिशु मेले के दौरान स्थानीय लोग गाजे-बाजे के साथ जातर लेकर मेला स्थान पर पहुंचते हैं। दिनभर स्थानीय लोकनाटी, रासा, हारूल नृत्य सहित ठोढ़ा प्रतियोगिता का आयोजन रहता है। ऐसा पहली बार हुआ है जब लोग प्राचीन मेलों का आनद नहीं ले पाएंगे।

गिरीपार  के अतिरिक्त समूचे देश में अलग-अलग नामों से पर्व को मनाया जाता है। सनातन धर्म अनुसार फसल कटने से पहले जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो अन्नदेव पूजन करके प्राण प्रतिष्ठा डालने के बाद फसल कटाई शुरू की जाती है। वहीं दक्षिण भारत के असम में भियु, बंगाल मे नबा वर्षा, केरल में पुरम बिशु, सहित पोंगल पर्व नाम से मेले मनाए जाते हैं। इसी दिन सिख पंथ के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसलिए पंजाब प्रदेश के लोग इसी दिन को नववर्ष का शुभारंभ मानते हैं तथा समूचे पंजाब में बैसाखी पर्व की धूम रहती है।

क्षेत्रीय लोगों में पंचायत प्रधान देवेन्द्र धीमान, डॉ. दलीप तिलकाण, गोपाल मींटा, धनवीर चौहान, प्रताप सिंह, खजान नेगी, कंवर चौहान, विनोद शर्मा, सोहन सिंह, अमर सिंह बताते हैं कि विशव्यापी कोरोना महामारी ने क्षेत्र की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। जिसके कारण क्षेत्रीय लोग अपने घरों मे पूजा-अर्चना करने के बाद पारंपरिक पकवान बना रहे हैं, उनको खाकर ही बिशु त्योहार मना रहे हैं। कर्फ़्यू व धारा 144 का उल्लंघन न हो इसलिए अपना समय घर पर ही व्यतीत कर रहे हैं।

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