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(मेहमान खेल विशेषज्ञ संवाददाता की कलम से)
12 दिसंबर 1981 को पंजाबी फिल्मों के लोकप्रिय कलाकार एवं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज योगराज सिंह के यहां एक सितारे ने जन्म लिया। जिसका नाम युवराज सिंह रखा गया। योगराज सिंह का क्रिकेट का जुनून था। कि उनका बेटा क्रिकेट जगत में वह मुकाम हासिल करें जो वह खुद ना कर पाए थे। उन्होंने अपने बेटे में उस सपने को जिया, तभी बेटे के अंडर- 14 रोलर स्केटिंग में पदक लाने पर उस पदक को फेंक कर कहा कि पूरा ध्यान क्रिकेट पर रखो।
उनके क्रिकेटिंग करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल को जहां बिहार की पूरी टीम 357 रन पर आउट हुई। और अकेले युवी ने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 358 रन ठोंक दिए। उसके बाद अंडर-19 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला। बस फिर क्या था, भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बुलावा आ गया। दूसरे, ही मैच में बल्लेबाजी का मौका मिला तो गिलेस्पी मैकग्राथ और ब्रेट ली की आग उगलती गेंदों के सामने 84 धाकड़ रन बनाए। टीम में अपना स्थान पक्का कर लिया।
उसके बाद आया नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 का क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में हुआ। फाइनल जहां मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर भारत को हार के मुहाने से अविस्मरणीय जीत दिलाकर भारतीय क्रिकेट के एक नए युग की शुरुआत की, भारतीय टीम ऐसी टीम बनी जो घर में घुसकर मारने लगी।
क्रिकेटिंग कैरियर के उतार-चढ़ाव के बीच आया 2007 का पहला t20 क्रिकेट वर्ल्ड कप, जहां युवी का बल्ला इतिहास रच गया। मसकारेन्हास के द्वारा एक ओवर में 5 छक्के खाने से घायल युवराज ने स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के मारकर अपना बदला भी पूरा किया और विश्व क्रिकेट में सबसे तेज अर्धशतक बना डाला और उनकी तूफानी पारियों की वजह से भारत पहला t20 चैंपियन बना।
मगर करियर का सुनहरी पन्ना अभी लिखा जाना बाकी था। 2011 में धोनी की कप्तानी में सचिन के आखिरी विश्व कप में मेजबान भारत 28 साल बाद फिर से विश्व कप जीतने के लिए बेताब था। यह बीड़ा उठाया मध्यक्रम के बल्लेबाज युवराज सिंह ने जिन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से अद्भुत पराक्रम का परिचय देते हुए टीम को विश्व कप जितवाया एवं मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया।
कभी खुशी कभी गम की तर्ज पर युवी के करियर में भी एक भयावह दौर शुरू हुआ जब वर्ल्ड कप के ठीक बाद उन्हें फेफड़ों का कैंसर डायग्नोज हुआ। ऐसा लगा कि इस महान खिलाड़ी का कैरियर यहीं थम जाएगा परंतु युवी ने जीवंतता का परिचय देते हुए जानलेवा कैंसर को मात दी और उसके बाद फिर से टीम में वापसी की।
लगभग 20 साल लंबे अपने क्रिकेटिंग करियर के दौरान युवी ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को मुस्कुराने के अनगिनत लम्हे दिए। आज 10 जून 2019 को युवी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करके अपने प्रशंसकों को झटका दे दिया। विश्व क्रिकेट में युवी ने जो मुकाम हासिल किया वह विरले ही करते हैं। अपनी उपलब्धियों की वजह से युवराज सिंह नामक सितारा भारतीय क्रिकेट जगत में सदैव चमकता रहेगा। उनके खेल से रोमांच पैदा होता था। विरोधी टीम के गेंदबाजों के मन में ख़ौफ़ साफ चहरे से झलकता था। गुवराज के प्रशंषकों के मन मे बस एक टीस रह गई। इस धाकड़ बल्लेबाज को क्रिकेट जगत में अंतिम विदाई क्रिकेट मैच नही मिला।
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