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लोहड़ी का पर्व पुरे देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रदेश की राजधानी शिमला में गुरुवार को लोहड़ी पर्व पर बाजारों में खरीददारों की भीड़ लगी हुई है। लोहड़ी के पर्व पर बाजारों में जगह-जगह पर लोग गुड़, तिल, गजक और रेवड़ी के स्टालों पर लोगों ने दिनभर खरीददारी की। महिलाएं सूखे मेवे और घी से बनी पंजीरी की खरीददारी करती हुई नजर आईं। ठंड के मौसम में इन दिनों गर्म तासीर देने वाले ये सूखे मेवे लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। इन दिनों में बाजार में तिल और गुड़ के लड्डू 200 रुपए से लेकर एक हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं।
वहीं, किशमिश, तिल, मूंगफली और चने वाली गजक 100 से लेकर 500 रुपए प्रति किलो बिक रही है. हालांकि, बाजार में इन चीजों में पिछले साल के मुकाबले दाम बढ़े हुए हैं, लेकिन त्योहार के चलते लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं. बाजार में दुकानदारों का कहना है कि जिला प्रशासन की ओर से सुबह दस से शाम सात बजे तक दुकानों के खोलने का निर्देश दिया गया है. जिससे दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनका कहना था कि लोग पांच बजे के बाद ही घर जाना शुरू हो जाते हैं, ऐसे में उनके आधे सामान ही बिक पा रहे हैं। माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है।
इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी। इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है। वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे, तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया। उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
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