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November 22, 2024

आलू की पैदावार में कमी होने के बावजूद, मंडियों में आलू के सही दाम मिलने से किसानों को मिली राहत

News portals-सबकी खबर (ऊना)

प्रदेश के ऊना जिले की 1700 हेक्टेयर जमीन पर किसान दो महीने आलू की फसल लगाते हैं। सितंबर से नवंबर के बीच उगाई जाने वाली इस फसल पर इस बार मौसम की मार पड़ी और पैदावार 50 फीसदी तक गिर गई। इससे किसानों को बड़े नुकसान का डर सता रहा था। हालांकि, मंडियों में आलू 16 सौ से तीन हजार प्रति क्विंटल तक आलू के दाम मिलने से किसानों को राहत मिली है। इससे एक कनाल में किसानों को तीन से चार हजार की बचत हुई है।कई किसानों के खेतों में भी आढ़तियों को फसल बेची बताया जा रहा है कि पहले जहां एक कनाल में आठ से दस क्विंटल तक आलू की पैदावार होती थी, इस बार केवल औसतन चार से पांच क्विंटल प्रति कनाल ही आलू निकला है। जिले के किसानों ने आलू अमृतसर और दिल्ली की मंडियों में बेचा। कई किसानों के खेतों में भी आढ़तियों को फसल बेची। नवंबर की शुरुआत से आलू निकालने  का काम शुरू हुआ था। अभी तक दाम 16 सौ से तीन हजार प्रति क्विंटल तक बिके। हालांकि, 20 नवंबर के आसपास पंजाब के किसान भी आलू खेतों में लेकर पहुंचने लगते हैं।

कनाल जमीन पर फसल तैयार करने में चार से पांच हजार खर्च इसके बाद दामों में 250 से 300 रुपये की कमी आई है। गांव पंडोगा के किसान देसराज ने कहा कि अक्तूबर में हुई बारिश से आलू की पैदावार में कमी आई है। उन्होंने करीब 300 कनाल में आलू लगाया है। 15 नवंबर से आलू निकालना शुरू किया। प्रति कनाल में औसतन चार से छह क्विंटल पैदावार हुई है। उसके बाद फसल आढ़ती को खेत में ही बेच दी। उन्हें खेत में ही 16 सौ से 18 सौ प्रति क्विंटल दाम मिल रहे हैं। एक कनाल जमीन पर फसल तैयार करने में चार से पांच हजार खर्च आता है, वहीं बिक्री सात से आठ हजार तक हुई है।

इस बार बारिश से आलू की पैदावार आधी रह गई करीब आठ कनाल में आलू उगाने वाले किसान सिद्धांत कुमार का कहना है छोटे किसानों आलू की फसल में बचत तभी होती है, जब मंडी में दाम अच्छे मिलें। इस बार पैदावार तो कम रही, लेकिन फसल लगाने का नुकसान नहीं हुआ। अगर बेमौसमी बारिश की मार न पड़ती तो आलू की फसल से हुआ फायदा डबल हो सकता है। जिला ऊना उपनिदेशक कृषि विभाग डॉ. अतुल डोगरा ने कहा कि इस बार बारिश से आलू की पैदावार आधी रह गई है। कई फसलों को मौसम की मार झेलनी पड़ी है। हालांकि, निकट भविष्य में इस समस्या का हल निकालने के लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं।

 

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