News portals-सबकी खबर (हमीरपुर)
उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर का लंगर श्रद्धालुओं के लिए न खुलने के कारण भक्त लंगर के प्रसाद से महरूम रह रहे हैं। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों के मंदिरों मेंं लंगर खुलने शुरू हो गए हैं। अभी हाल ही में जिला ऊना के चिंतपूर्णी माता मंदिर में भी लंगर सेवा शुरू कर दी गई है। ऐसे में बाबा के दर आने वाले श्रद्धालुओं में मायूसी देखी जा रही है। बता दें कि बाबा के दर शीश नवाने के लिए आने वाला हर श्रद्धालु बाबा के लंगर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। इसके अलावा गरीब के लिए यह लंगर खाने की व्यवस्था का एक अच्छा साधन है। इसी तरह मंदिर के अंदर बाबा के धूने को भी अभी तक नहीं खोला गया है।
वैसे बात तो हैरान करने वाली है कि जब मंदिर में भक्तों की एंट्री नियमित हो रही है। सराय और होटल-ढाबे सब खुले हैं तो लंगर को बंद करने का क्या औचित्य है। जबकि बीच-बीच में मंदिर में ड्यूटी के लिए आने वाले होमगाड्र्स आदि के लिए लंगर में भोजन की व्यवस्था की जा रही है। यही नहीं पिछले दिनों यहां एक संगठन के कार्यक्रम के दौरान भी मंदिर में काफी संख्या में लोगों के लिए भोजन बनाया गया था। ऐसे में लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि बाबा के लंगर में बनने वाला जो भोजन श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है उसे क्यों शुरू नहीं किया जा रहा। विदित रहे कि बाबा बालक नाथ मंदिर में हिमाचल के अलावा पड़ोसी राज्य पंजाब सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं। शनिवार और रविवार को आंकड़ा दस हजार के आसपास होता है जबकि रूटीन में संख्या एक हजार तक रहती है।
यहां ट्रस्ट की नो जबकि प्राइवेट चार सराय हैं जो कि हमेशा पैक रहती हैं। इसके अलावा तीन होटल और एक सरकारी गेस्ट हाउस है। सबमें आकर लोग रुकते हैं, खाना खाते हैं तो लंगर खोलने में क्या अड़चन है। सरकार और दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट को भक्तों की आस्था और मजबूरी को देखते हुए लंगर शुरू कर देना चाहिए। वहीं मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं एसडीएम शशिपाल शर्मा ने कहा कि मंदिर में कोरोना नियमों की पालना के साथ श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जाते हैं। वैक्सीनेशन की दोनों डोज या फिर नेगेटिव रिपोर्ट देखने के बाद ही उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। जहां तक लंगर की बात है तो सरकार की तरफ से इस बारे में अभी कोई निर्देश नहीं है। यदि सरकार परमिशन देती है तो हम भी लंगर और धूना शुरू कर देंगे। (एचडीएम)
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