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केन्द्रीय इस्पात और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में सीआईआई द्वारा आयोजित ‘स्टीलिंग इंडिया-2019 : ड्राइविंग मैटल इन्टेंसिटी इन की सेक्टर्स’ में भाग लिया। प्रधान ने अपने उद्धाटन भाषण में भारत के इस्पात क्षेत्र, इस्पात की बढ़ती मांग और भारतीय इस्पात क्षेत्र को अधिक आकर्षक बना सकने वाले प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष की चर्चा की।
नवाचार के बारे में प्रधान ने कहा, ‘नवाचार नया हथियार है। संसाधनों की प्रचुरता से अधिक वैज्ञानिक अविष्कारों ने नई दुनिया को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई है। हमारे घरेलू उद्योग को नये परिवर्तनों और नई प्रौद्योगिकियों को महत्व देना चाहिए, ताकि इस्पात निर्माण के लिए निरंतर और किफायती विकल्पों की पहचान हो सके।’
देश में इस्पात के इस्तेमाल के बारे में प्रधान ने कहा, ‘भारत एक तेजी से बढ़ता बाजार है। हमारे लोगों के अत्यधिक प्रेरणा स्रोत और बढ़ती क्रय क्षमता है। यह घरेलू उद्योग के विस्तार और वृद्धि के लिए अभूतपूर्व अवसर प्रदान करती है। हमारे इस्पात का प्रति व्यक्ति उपभोग जो इस समय वैश्विक औसत से काफी कम है, उसके भविष्य में बढ़ने की उम्मीद है। हमने इस्पात के उपयुक्त इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए ‘इस्पाती इरादा’ नाम से सहयोगपूर्ण अभियान शुरू किया है। मुझे खुशी है कि इस कार्यक्रम में ‘इस्पाती इरादा’ ब्रांड का इस्तेमाल किया जा रहा है।’
यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि ग्रामीण भारत इस्पात की बढ़ती मांग का अगला चालक होगा, उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत इस्पात की मांग को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। बढ़ती आर्थिक गतिविधियां, सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन, बढ़ती आय, ग्रामीण इलाकों में इस्पात के इस्तेमाल में तेजी लाएगा। सरकार की हर घर जल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि जैसी योजनाएं ग्रामीण इलाकों में इस्पात का उपभोग बढ़ाएंगी।
इस्पात क्षेत्र में अधिक तेजी के बारे में प्रधान ने कहा कि सरकार इस्पात क्षेत्र को किफायती बनाने, लॉजिस्टिकल दक्षता लाने की दिशा में कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पूर्वी भारत में सिन गैस संयंत्र विकसित करने में लगे हुए हैं, जिससे घरेलू इस्पात निर्माण की लागत कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोकिंग कोल आपूर्ति में विविधता भी हमारी प्राथमिकता का एक क्षेत्र है। पिछले कुछ महीनों में हमने अनेक पहल की हैं और हम कोकिंग कोल आयात की विविधता के लिए उद्योग के साथ कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार द्वारा किये गये दूरदर्शी नीतिगत सुधारों और उद्योग की उद्यमशील भावना से प्रेरित होकर भारत जल्दी ही इस्पात का निर्यातक बन जाएगा। उन्होंने उद्योग से आग्रह किया कि वह निर्माण दक्षता, लॉजिस्टिक्स में सुधार लाने के तरीकों का पता लगाएं और उत्पादन की लागत कम करें।
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