News portals-सबकी खबर (शिमला )
बिजली बोर्ड की सुस्ती से हिमाचल प्रदेश में उठाऊ पेयजल और सिंचाई योजनाओं के दर्जनों प्रोजेक्ट अटक गए हैं। लोगों का दबाव होने पर जल शक्ति विभाग के अधिकारी इस बारे में बार-बार बिजली बोर्ड को चिट्ठियां भेज रहा हैं, मगर इन पर गौर नहीं किया जा रहा है। कर्मचारियों की कमी होने और अन्य तरह की भी दलीलें दी जा रही हैं, मगर चुनावी साल से पहले भी इस बारे में सुस्ती बरती जा रही है। इनमें से कई योजनाएं विधायक प्राथमिकता की हैं, जिन्हें नाबार्ड से वित्तपोषित किया जा रहा है।
प्रदेश में विभागों का आपस में तालमेल नहीं होने के कारण ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने मेें दिक्कत आ रही है। विभिन्न जिलों की दो दर्जन पेयजल और सिंचाई योजनाएं ऐसी बताई जा रही हैं, जिनका बिजली बोर्ड के पास सप्लाई ऑफ पावर के लिए लाखों रुपये जलशक्ति विभाग जमा कर चुका है, मगर ट्रांसफार्मर नहीं लगाए जा रहे हैं।नाबार्ड से विधायक प्राथमिकता में वित्तपोषित कई योजनाओं में तो बजट की भी कोई कमी नहीं है, मगर अफसरशाही अपने उपलब्ध स्टाफ से काम ही नहीं कर पा रही है। बिजली बोर्ड के अधिकारी स्टाफ की कमी होने की बात कर रहे हैं। कई स्थानों पर तो स्थिति यह है कि वहां ट्रांसफार्मर भी पहुंच चुके हैं, मगर साल भर से इन्हें खड़ा ही नहीं किया जा सका है। इससे लोगों में भी रोष की स्थिति है।
36 लाख रुपये डेढ़ साल पहले से जमा, पर नहीं मिला बिजली कनेक्शनजिला शिमला की तहसील ठियोग की ग्राम पंचायत क्यार में नाबार्ड से वित्तपोषित करीब सवा तीन करोड़ की सिंचाई जल योजना बनाई जा रही है। क्यार खड्ड से धानो नाम से बन रही यह स्कीम दो ग्राम पंचायतों क्यार और कमाह के हजारों किसानों को सिंचाई का पानी देगी। इसे भाजपा की पिछली सरकार में तत्कालीन विधायक स्व. राकेश वर्मा ने अपनी प्राथमिकता में डाला।सरकार बदली तो कांग्रेस सरकार में आईपीएच मंत्री रहीं विद्या स्टोक्स ने इस प्राथमिकता को जारी रखा और इसकी डीपीआर बनाकर नाबार्ड को भेजी। नाबार्ड से इसके लिए सवा तीन करोड़ रुपये की राशि आई। इसमें पाइप बिछे पड़े हैं। पंप हाउस बन चुका है। बिजली बोर्ड के पास डेढ़ साल पहले 36 लाख रुपये जमा किए गए, मगर इसके लिए ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जा रहा है। बिजली बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों के स्तर पर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। अगर कहीं ठोस कारण के काम में देरी की जा रही है तो इसकी जांच होगी। इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी
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