News portals-सबकी खबर (शिमला ) प्रदेश में गत दो महीनों में लगातार मौसम में हो रहे बदलाव का बड़ा असर नुकसान के तौर पर सामने आया है। राज्य सरकार को फील्ड से भेजी गई रिपोर्ट में इस अवधि के दौरान 31 घर धराशायी हुए हैं। इन घरों के गिरने की वजह से सभी परिवार बेघर हो गए हैं। इनमें से आठ पक्के जबकि 23 कच्चे मकान बारिश की वजह से गिरे हैं। राजस्व विभाग ने एक मार्च से पांच मई के बीच हुए नुकसान का आंकड़ा सार्वजनिक किया है। इस रिपोर्ट में चंबा और कुल्लू जिलों में सात-सात मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। शिमला और मंडी छह-छह, सिरमौर में दो जबकि किन्नौर, सोलन और ऊना में एक-एक मकान ध्वस्त हुआ है। 92 करोड़ 92 लाख रुपए के नुकसान का आकलन अभी तक किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले साल आई आपदा के बाद राज्य सरकार ने मकान धराशायी होने के मुआवजे में बढ़ोतरी का फैसला किया था। पहले घर के पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने पर एक लाख 30 हजार रुपए मुआवजा राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता था, जबकि गत साल इसे पांच गुना बढ़ाकर सात लाख रुपए कर दिया है और ये नियम कच्चे और पक्के दोनों तरह के मकानों पर लागू हैं।प्रदेश में मार्च के बाद पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए 31 मकानों को राज्य सरकार की ओर से अब दो करोड़ 17 लाख रुपए का मुआवजा मिलना है। यह मुआवजा राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर दिया जाएगा। इसी अवधि के दौरान प्रदेश में 140 मकान आंशिक तौर पर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। राज्य सरकार ने आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त मकानों के लिए मुआवजे की राशि में भी बदलाव किया है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों को राज्य सरकार अब एक-एक लाख रुपए मुआवजा देगी, लेकिन इसके लिए इन मकानों की रिपोर्ट राजस्व विभाग देगा। प्रदेश में दो महीनों में बेमौसम बरसात की वजह से नुकसान हुआ है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने बर्फबारी के मौसम के देर तक चलने को भी इस नुकसान की बड़ी वजह करार दिया है। अब यह रिपोर्ट राज्य सरकार तक पहुंच गई है और इसमें सुधार के साथ लोकसभा चुनाव के बाद ही फैसला सामने आ पाएगा।
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