इस वर्ष बरसात के दौरान कम बारिश होने के कारण गिरि नदी का जल स्तर केवल 1.35 मीटर बढ़ा है जो कि पिछले कई वर्षों की तुलना में बहुत कम है जिससे गिरि नदी पर स्थापित हाइड्रो प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। केंद्रीय जल आयोग के अपर यमुना मंडल दिल्ली द्वारा यशवंतनगर में गिरि नदी के गेज, डिस्चार्ज,
गाद व जल गुणवत्ता का आकलन करने के लिए स्थापित साइट के प्रभारी जसवंत सिंह ने बताया कि इस वर्ष बरसात के दौरान बारिश बहुत कम हुई है। केवल 25 अगस्त को दिन में करीब दो बजे गिरि नदी में अधिकतम बाढ़ आई थी जिसका जल स्तर 896.35 मीटर दर्ज किया गया है, जबकि वर्ष 2019 की बरसात में अधिकतम जल स्तर 900 मीटर रिकार्ड किया गया था अर्थात गत वर्ष के दौरान सामान्य वर्षा होने से गिरि नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया था। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यशवंतनगर की समुद्र तल से ऊंचाई को मद्देनजर रखते हुए जल आयोग द्वारा जीरो मानक गेज 895 मीटर निर्धारित किया गया है और इस मानक गेज के आधार पर जल स्तर मापा जाता है।
उन्होंने बताया कि गिरि नदी में 20 सिंतबर, 2008 को सबसे ज्यादा बाढ़ 903.80 मीटर रिकार्ड की गई थी, जबकि पांच मई,1995 को सबसे ज्यादा डिस्चार्ज स्तर 1787.59 क्यूमेक रिकार्ड किया गया था। उन्होंने कहा कि गिरि नदी का कैचमेंट एरिया 1349 किलोमीटर है और गिरि नदी पर असंख्य सरकारी और निजी लिफ्टें लगने से भी गिरि नदी के पानी में बहुत कमी आई है जिससे इस नदी पर कार्यरत जल विद्युत परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। गत 26 वर्षों से इस स्थल की निगरानी का कार्य कर रहे जसवंत सिंह ने कहा कि गिरि नदी का जल स्तर मापने के लिए जल आयोग द्वारा मरयोग में वर्ष 1976 में कार्यालय खोला गया था।
उस दौरान से ही गिरि नदी के जलस्तर को प्रतिदिन मापा जाता है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग द्वारा अब यशवंतनगर के गिरि नदी में स्वचालिल सैटेलाइट कैमरा भी स्थापित किया गया है जिसका कनेक्शन सीधेतौर पर जल आयोग के मंडल एवं उपमंडल कार्यालय दिल्ली से जुड़ा है। इस स्वचालित कैमरा के माध्यम से नदी के जल स्तर की प्रतिदिन रिपोर्ट दिल्ली जाती है, जहां पर इसकी विशेषज्ञों द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जाती है। जबकि मेनुअली तौर भी प्रतिदिन जल स्तर का आकलन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जल आयोग के खैरी, पांवटा और रेणुका में भी निगरानी स्थल कार्यरत है।
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