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November 24, 2024

विरोध व तनाव के चलते Dam प्रबंधन को बंद करना पड़ा स्थापना दिवस कार्यक्रम

News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)

प्रदेश सरकार एक तरफ जहां गिरी नदी पर करीब 7 हजार करोड़ ₹ की लागत से बनने वाली राष्ट्रीय महत्व की रेणुकाजी बांध परियोजना का Online शिलान्यास करवाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पहचान पत्र व मुआवजे का व्यौरा दिए जाने आदि मागों को लेकर विस्थापित होने वाले किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है। शनिवार को रेणुकाजी बांध प्रबंधन कार्यालय परिसर मे जैसे ही HPPCL का 15वां स्थापना दिवस समारोह शुरू हुआ, प्रदर्शनकारी आयोजन स्थल पर आ धमके, जिसके चलते मटका फोड़ प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम बीच मे ही रोकने पड़े। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे संघर्ष समिति के नेताओं व आयोजन स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों तथा बांध प्रबंधन के अधिकारियों के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई।

संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान से बहस व नोंकझोंक के बाद प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और कार्यक्रम बंद होने के बाद ददाहू बाजार मे भी Rally निकाली। प्रधानमंत्री द्वारा परियोजना के शिलान्यास की खबरें आने के बाद बांध से डूबने वाले सबसे बड़े उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले गांव सींऊ में गुरुवार को आयोजित रेणुका बांध विस्थापित जन संघर्ष समिति की आपातकालीन बैठक में इस विरोध प्रदर्शन का निर्माण लिया गया था। प्रदर्शनकारियों का नैत्रित्व कर रहे संघर्ष समिति अध्यक्ष योगेंद्र कपिला, BJP प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एंव संयोजक प्रताप तोमर व सहसंयोजक पूर्ण चंद शर्मा आदि ने कहा की, वह पिछले 14 वर्षों से बांध प्रबंधन एवं सरकार के समक्ष लगातार अपनी समस्याओं को रख रहे हैं, मगर इस पर गौर नहीं किया जा रहा है।

बांध प्रबंधन के समक्ष संघर्ष समिति द्वारा गत माह हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से परियोजना के विस्थापितों को पहचान पत्र देने व पैरा 55 के तहत उन्हे जारी किए गए मुआवजे का विवरण देने की मांग की गई थी, जिसे पूरा नही किया गया।1960 के दशक से प्रस्तावित इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से आर्थिक क्लीयरेंस मिलने के बाद जहां जल्द बांध निर्माण की उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी और विस्थापितों ने लंबे अरसे बाद विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है। गौरतलब है कि, बांध से डूबने वाले उपमंडल संगड़ाह व चौपाल को जिला मुख्यालय नाहन व चंडीगढ़ आदी से जोड़ने वाले 7 किलोमीटर संगड़ाह-रेणुकाजी-नाहन मार्ग की जगह बनने वाली 14 किलोमिटर वैकल्पिक सड़क के लिए अब तक बजट उपलब्ध नही है और क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बांध निर्माण शुरू करने से पहले उक्त मार्ग का काम शुरू करने की मांग की जा रही है।‌

 

मात्र 40 MW की इस परियोजना का काम शुरू होने से पहले इस पर अब तक करीब 700 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जिसमे से 400 करोड़ से ज्यादा 1142 विस्थापित परिवारों को मुआवजे के रुप जारी हुए। अकेले संगड़ाह पचांयत के गांव सीऊं को जानकारी के अनुसार 100 करोड़ से ज्यादा मुआवजा राशि मिली है, हालांकि विस्थापित बांध निर्माण से पहले सभी मांगे पूरी करवाने पर अड़ हैं। डेम से दिल्ली व अन्य 5 राज्यों को 23 क्युमेक्स पानी मिलने पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं, क्योंकि गर्मी व सर्दी मे Giri River मे केवल 5 क्यूमेक्स के करीब पानी ही रहता है।

 

बांध प्रबंधन के अभियंताओं की माने तो 26 किलोमीटर लंबा रिजर्वायर बनने पर बरसात अथवा बाढ़ का रोका जाएगा और इससे नदी का जल स्तर भी बढ़ेगा। रेणुकाजी बांध के महाप्रबंधक रूपलाल ने बताया कि, विस्थापितों की सभी मांगो व समस्याओं के प्रति प्रबंधन सजग है और बांध निर्माण से पहले ही सभी जायज मांगो को पूरा किया जाएगा। उन्होने कहा कि, पैरा 55 के तहत विस्थापितों को जारी रकम का विवरण तथा उनके MPF पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है। उन्होने कहा कि, बजट मिलते ही बैकल्पिक संगड़ाह-रेणुकाजी मार्ग की राशी लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह को जारी होगी। महाप्रबंधक रूपलाल ने बताया कि, आगामी 27 दिसंबर को भारत के प्रधानमंत्री से इस परियोजना का शिलान्यास करवाने की तैयारियां जारी है, हालांकि अभी कार्यक्रम को अधिकारिक मंजूरी मिलना शेष है।

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