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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बरसात के दौरान लोगों को 48 घंटे पहले पता चल जाएगा कि कहां बादल फटने वाला है। लगातार हो रहे नुकसान से बचने के लिए जीबी पंच राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान ऐसा यंत्र बनाने की दिशा में काम कर रहा है। संस्थान का दावा है कि दो साल में यंत्र बना लेंगे, जिससे बादल फटने की घटनाओं का 48 घंटे पहले पता चल जाएगा। पिछले चार दशकों से कुल्लू क्षेत्र में बारिश की मात्रा कम हुई है। हालांकि, कई बार बारिश अधिक होने से नुकसान भी अधिक हो रहा है। जिले में बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
कुल्लू में वैज्ञानिकों की ओर से दो साल में एक ऐसा यंत्र बनाया जाएगा। जिससे हर गांव का एकदम सही तापमान और बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सके। इसके अंतर्गत बादल फटने जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लग पाएगा। -राकेश कुमार, वैज्ञानिक, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, मौहल।
सीएसआईआर के सुपर कंप्यूटर की ली जाएगी मदद
प्रोजेक्ट पर जीबी पंत संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. रेणुलता, सीएसईआर से डॉ. केसी गौड़ा, डॉ. जीएन महापात्रा, शोधार्थी शायन्ता घोष, रजत ठाकुर काम कर रहे हैं। इसमें सीएसईआर बंगलूरू के आधुनिक तकनीक वाले सुपर कंप्यूटर की भी मदद ली जाएगी।
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