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जिला सिरमौर के किसान फाल आर्मी वोर्म कीड़े से मक्की की फसल को बचाने के लिए सावधानी भरते यह जानकारी कृषि उप निदेशक सिरमौर डॉ0 बलदेव पराशर ने दी। उन्होंने बताया कि सिरमौर में लगभग 24000 हेक्टेयर भूमि पर मक्का की खेती की जाती है जिससे लगभग 58750 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। इस वर्ष फाल वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप के कारण जिला सिरमौर में मक्की की खेती करने वाले किसान दिक्कत का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार जिला सिरमौर के निचले इलाकों में तथा गिरिपार वाले क्षेत्र में इस कीट का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है और अभी तक लगभग 4000 हेक्टेयर मक्की की फसल में खेत के बीच में ही स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए है ।
उन्होंने बताया कि यह कीड़ा दक्षिण अमेरिका में पाया जाता था परन्तु कुछ वर्ष पहले यह अफ्रीकी देशों से होते हुए कर्नाटक और वहां से उत्तरी पूर्वी राज्यों में पहुँचने के बाद अब उतरी भारत के राज्यों में भी पहुंच गया है। यह जलवायु परिवर्तन और खादों के असंतुलित उपयोगों के कारण हुआ है और नत्रजन के ज्यादा उपयोग करने के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है जिस कारण विभिन्न किस्म के रोग और कीड़े फसलों को नुक्सान पहुंचाते हैं उन्होंने बताया कि आर्मी वोर्म नामक कीडे के प्रकोप से फसलो बचाने के लिए अपनी फसल का नियमित सर्वेक्षण करें, यदि खेत में 5 प्रतिशत से अधिक पौधों पर फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े का प्रकोप पाया जाता है तो इसके नियंत्रण के लिए उपाय समय पर शुरू कर दें। सबसे पहले खेत की मिट्टी,रेतव राख से ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें और यदि उसके बाद बारिश न हो तो पानी भर दें। ऐसा करने से सुंडियां मर जाएगी। खेत में प्रकाश प्रपंच तथा फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें। अजैविक कीटनाशकों जैसे बीटी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) नीम आधारित कीटनाशको(2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशकों मेटारहीजीयम(5 ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें।
उन्होंने बताया कि मक्की की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रामा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने हेतु प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोडे यदि इन उपायों के बावजूद फाल आर्मी वोर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायनों जैसे स्पाईनोसैड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिमोल (0.3 मिली मीटर प्रति लीटर पानी) एमाबेक्टीन बेन्जोएट(0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी) धायोडीका (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या थाओमियेक्सोन लेम्ब्डा साईं हेलोप्रिन(0.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें। उन्होंने बताया कि ग्रसित पौधों के अवशेष खेत में न छोड़े नहीं तो अगली पीड़ी दूसरी फसल को नुक्सान पहुंचाएगी।यह कीड़ा 80 से ज्यादा फसलों को नुक्सान पहुंचता है।
उन्होने बताया कि अगले वर्ष मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबियाइत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाए क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वोर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्का की फसल का नत्रजन दलहन फसल से मुफ्त में प्राप्त होती है। मक्का की फसल के चारों और 3-4 लाइनें नेपियर घास की ट्रेप फसल के रूप में मुख्य फसल 10 दिन पहले लगाएं ताकि वहां पर फाल आर्मी वोर्म कीड़े की उपस्थिति होते ही उन्हें ट्रेप कर वहीं समाप्त कर दिया जाए
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