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प्रदेश के जिला सिरमौर के किसानों का रुझान लहसुन उत्पादन की तरफ बढ़ रहा है। पिछले 6 सालों में 2,307 हेक्टेयर भूमि में लहसुन उत्पादन का दायरा बढ़ा है। जिले में साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ रहा है। वर्तमान में 60,650 मीट्रिक टन उत्पादन पहुंच चुका है। वर्ष 2016 की बात करें तो जिले में 1,693 हेक्टेयर भूमि पर 26,580 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन हो रहा था। वहीं, अब इसका उत्पादन क्षेत्र 4000 हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। सिरमौर जिले में लहसुन की फसल मुख्य व्यावसायिक फसल है, जिससे किसान अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।प्रदेशभर में सबसे अधिक सिरमौर जिले में ही लहसुन के अंतर्गत उत्पादन क्षेत्र आता है। यानी यह नगदी फसल सबसे अधिक जिले में ही उगाई जा रही है। बीते वर्ष भी किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिले थे। 80 रुपये से 120 रुपये किलो तक किसानों को दाम मिले थे। इस वर्ष भी किसान अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। उच्च गुणवत्ता का होने के कारण यहां के लहसुन की मांग दक्षिण भारत तक रहती है। काफी अधिक मात्रा में लहसुन दक्षिण भारत की मंडियों में सप्लाई होता है। इसके अलावा देश की विभिन्न मंडियों तक यहां का लहसुन पहुंचता है।पौष्टिक तत्व होने के साथ-साथ आकार में बड़ा होने के कारण ही इसकी मांग अधिक रहती है। यही वजह है कि किसान भी अब इसे व्यावसायिक फसल के रूप में लेकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। पिछले 6 साल में लहसुन का क्षेत्र व उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश में भी लहसुन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा उत्पादन सिरमौर जिले का है। फिलहाल, लहसुन में किसी भी रोग संबंधी कोई शिकायत नहीं मिली है। फिर भी किसानों को चाहिए कि वह फसल का बीमा जरूर करवा लें ताकि किसी भी नुकसान की स्थिति में भरपाई हो सके।
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