खाची कहलाने वाले पारंपरिक स्टोर में किया जा रहा है फसल का भंडारण
स्थानीय बाजारों में महज 20 से 25 रुपए किलो बिक रहा है अदरक
News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
सिरमौर जिला के किसानों द्वारा करीब 1600 हेक्टेयर उत्तम कृषि भूमि पर उगाई जा रही जिला की प्रमुख नकदी फसल अदरक के इस बार बेहतर उत्पादन के बावजूद वाजिव दाम न मिलने के चलते किसान अपनी फसल को बेचने की बजाय कीमत बढ़ने की उम्मीद में स्टोर कर रहे हैं। गत सप्ताह से क्षेत्र में अदरक की फसल निकालने का काम जारी है। उक्त फसल निकालने के लिए किसान बारी-बारी से एक दूसरे की मदद करते हैं तथा इस परम्परा को हैला अथवा खेचियार कहा जाता है।
जिला सिरमौर में अदरक उत्पादन में अग्रणी रहने अथवा करीब 500 हेक्टेयर में अदरक उगाने वाले कृषि खंड अथवा उपमंडल संगड़ाह में इन दिनों अदरक निकालने का कार्य अंतिम चरण मेें है। गत वर्ष जहां किसानों का अदरक इन दिनों 50 रुपए प्रति किलोग्राम के करीब बिका, वहीं इन दिनों जिला की स्थानीय मंडियों में सफेद सोना कहलाने वाली यह फसल मात्र 20 रुपए किलो अथवा कौडि़यों के दाम बिक रही है। अदरक की फसल निकालने अथवा स्टोर करने में व्यस्त किसान बाबू राम, अशोक, ज्ञान चंद, राम सिंह, मथुरा देवी व भारत राम आदि के अनुसार लगभग हर वर्ष माह जनवरी के बाद अदरक करीब 60 से 70 रुपए प्रतिकिलो तक बिकता है इसलिए वह पारंपरिक भूमिगत स्टोर खाती में अदरक का भंडारण कर रहे हैं। जमीन में करीब 20 फुट तक गहरी खुदाई कर पत्थर की चिनाई से बनाए जाने वाले जाने वाले बंकर नुमा स्टोर को खाची कहा जाता है।
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