News portals-सबकी खबर (पालमपुर )
प्रदेश के अनेक क्षेत्रों के किसान अपने खेतों में मक्की, धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इन फसलों को बेसहारा और जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसे प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए सगंध फसलों की खेती एक उपयुक्त विकल्प हैं। सगंध फसलों की खेती से पहाड़ी क्षेत्र के किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। परियोजना के अंतर्गत हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान सगंध फसलों की खेती करने की जानकारी प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर रहा है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाके 800-2500 मीटर की ऊंचाई वाले इलाके इसकी खेती के लिए काफी उपयुक्त हैं। सगंध गेंदे की फसल से किसान पांच-छह माह में लगभग दस से बारह हजार रुपए प्रति बीघा शुद्ध लाभ अर्जित कर सकते हैं। डा. अरविंद वर्मा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने किसानों को सगंध गेंदे की बीजाई का खेत में प्रशिक्षण प्रदान किया। वहीं डा संजय कुमार, निदेशक, आईएचबीटी ने बताया कि किसान सगंधित गेंदे की फसल को वैज्ञानिक तरीकों से लगाएं, ताकि वे अधिक से अधिक फसल उगा कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें |जिला मंडी के कमांद क्षेत्र के किसानों के लिए अरोमा मिशन के अंतर्गत सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर द्वारा एक तेल निकासी संयंत्र भी स्थापित किया गया है तथा किसानों को सगंध गेंदे की उत्तम किस्म हिम स्वर्णिमा का बीज भी नि:शुल्क प्रदान किया गया है। इसी कड़ी में सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर द्वारा सगंध फसलों की उत्पादन प्रौद्योगिकी पर कमांद, जिला मंडी में एक दिवसीय जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 से ज्यादा किसानों, वैज्ञानिकों एवं सगंध इंडस्ट्री के लोगों ने भाग लिया। टीम सीएसआईआर-आईएचबीटी ने किसानों के खेतों में निरीक्षण किया एवं सगंध फसलें लगाने के लिए उचित दिशा-निर्देश और जानकारी प्रदान की।विज्ञानियों ने किसानों को अपने क्षेत्र में सगंधित फसलों की जानकारी दी। वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक व अरोमा मिशन के सह नोडल अधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंदीदा, उच्च मांग वाले सगंधित घटकों के साथ सगंध तेल का उत्पादन करने के लिए उपयुक्त हैं। उच्च गुणवत्ता वाले सगंध तेल का उत्पादन करके अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र के किसानों के लिए सगंध फसलों की खेती बहुत लाभदायक होगी। सगंध गेंदे के तेल की वार्षिक मांग लगभग 25 टन के लगभग है।
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