News portals-सबकी खबर ( नौहराधार)
सितंबर महीने में गिरिपार क्षेत्र सूखा ही निकल रहा है। मानसून के अंतिम दौर में बारिश न के बराबर हुई है, जिससे किसानों पर संकट के बादल छा गए हैं। शुरुआत में अच्छी बारिश के बाद अगस्त के अंतिम सप्ताह व सितंबर में मौसम ने एक बार फिर मुंह मोड़ लिया है।
ऐसे में जहां किसानों के खेतों में लगी नकदी फसलें सूख रही हैं, वहीं फसल में रोग लगने की संभावना भी बढ़ गई है। गौरतलब है कि गिरिपार क्षेत्र में सिंचाई के साधनों का अभाव है यानी 70 फीसदी किसानों को बारिश के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है।
आजकल गिरिपार क्षेत्र में अधिकतर किसानों द्वारा मटर की फसल उगाई गई है। गिरिपार क्षेत्र में मटर की फसल प्रमुखता से की जाती है तथा यह फसल वर्ष की अंतिम फसल होती है। इस फसल से किसान अगली फसलों तक गुजारा करता है, मगर बिना बारिश के यह फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। यही नहीं मैदानी क्षेत्रों में धान की फसल बड़े पैमाने पर लगाई जाती है।
बरसात के शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश ही थी जिसके चलते किसानों ने धान की फसल को थोक में लगाया था। बता दें कि इस धान की फसल को पानी भरपूर मात्रा में चाहिए होता है, मगर बिना बारिश के इस फसल में रोग लग सकता है। यदि पांच दिनों के भीतर बारिश नहीं होती है तो निश्चित तौर पर फसलों को व्यापक असर देखने को मिलेगा। इसी तरह मटर की फसल तेज धूप से धीरे-धीरे खेतों से गायब हो रही है।
इस फसल के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। इसलिए किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। आसमान में छाए बादल देखकर किसान सोचते हैं कि अब शायद बरसात हो जाएगी, मगर दिन से रात और रात से सुबह हो जाती है और बरसात की संभावना समाप्त होती जा रही है जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं।
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