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खाद्य आपूर्ति विभाग ने डिजिटल राशनकार्ड बनाने की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास विभाग को सौंप दी है। बीपीएल और अंत्योदय के राशनकार्ड बनवाकर प्रदेश में तैनात 125 सरकारी अफसरों की ओर से गरीबों का राशनकार्ड डकारने का मामला सामने आने के बाद अब पंचायतें खुद डिजिटल राशनकार्ड बनाएंगी। इससे पहले भी हालांकि राशनकार्ड तो पंचायतें खुद बनातीं थीं, लेकिन उनकी डिजिटाइजेशन खाद्य आपूर्ति विभाग करता था।
फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद अब विभाग का कहना है कि कौन गरीब है और कौन नहीं ये पंचायत सचिव, पंचायत प्रधानों और ग्रामीण विकास विभाग को पता है। इसलिए खाद्य आपूर्ति विभाग यह काम ग्रामीण विकास विभाग को सौंपेगा।खाद्य आपूर्ति विभाग का कहना है कि वर्ष 2013 से पहले भी पंचायतों में ही राशनकार्ड बनते थे। पंचायतों में सभी लोगों का रिकॉर्ड रहता है। ऐसे में घपला होने की आशंका नहीं रहेगी। दोनों विभागों में इसको लेकर बैठक भी हुई है। आशंका यही है कि 125 असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिकल आफिसर और स्कूल प्रवक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने बीपीएल और अंत्योदय राशनकार्ड बनाने का काम पंचायत प्रधानों और सचिवोें की ही मिलीभगत से किया है।
मजे की बात तो यह भी है कि बीपीएल श्रेणी वालों को केंद्र से जारी 5 किलो प्रतिव्यक्ति मुफ्त चावल भी 104 अफसरों ने डकार लिए। इसमें 20 डॉक्टर, 40 प्रवक्ता व अन्य अधिकारी शामिल हैं। यह राशन पिछले माह ही डिपुओं में आवंटित हुआ है। अब पंचायतों में कार्ड बनाए जाने से पूरी जिम्मेदारी ग्रामीण विकास विभाग की होगी।
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