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चीन से निपटने के लिए भारत सरकार ने हिमाचल पुलिस के मॉडल को अपनाया है। जो की इस प्रकार से है की सबसे पहले बार्डर के साथ लगते गांवों में नेटवर्क को बेहतर बनाया जाए, इसकी लोगों ने मांग की है। इसके अलावा रोड और कनेक्टिविटी को लेकर भी एक प्वाइंट जोड़ा गया है। यहां पर लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के बारे में लिखा गया है, ताकि लोग अपने गांवों को छोड़ कर न जाएं। इसके अलावा ट्राइबल टूरिज्म को लेकर भी पुलिस ने जोर देने का आह्वान किया है, ताकि टूरिस्ट यहां तक पहुंच सके, यहां की संस्कृति को देख सकें, ऐसा करने से युवाओं को घर पर ही रोजगार मिल जाएगा। इसके अलावा बार्डर एरिया के पास लगने वाले गांवों के लोगों को विशेष ट्रेनिंग दी जाए, ताकि वे हर संदिग्ध गतिविधि को पकड़ सकें। आर्मी, आईटीबीपी जवानों के अलावा पुलिस के अधिकारी अगर उनके साथ मिलेंगे, तो वहां के लोगों में विश्वास पैदा होगा।
राज्य पुलिस ने अपने 10 आईपीएस अफसरों का दल चीन से सटे हिमाचल के गांवों में भेजकर नागरिकों का उत्साह बढ़ाया है। इस नई पहल सहित प्रदेश पुलिस ने 12 अलग-अलग बिंदुओं पर आधारित अपनी रिपोर्ट राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजी थी। केंद्रीय रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालयों की संयुक्त बैठक में हिमाचल पुलिस के इस मॉडल की जमकर सराहना करते हुए दूसरे राज्यों को इस आधार पर काम करने के निर्देश दिए हैं।
हिमाचल के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने तीनों मंत्रालयों से मिली इस सूचना के बाद हिमाचल पुलिस प्रमुख संजय कुंडू को प्रशस्ति पत्र जारी किया है। इस आधार पर चीन से निपटने के लिए अब केंद्र सरकार हिमाचल पुलिस के 12 तरीकों को अपनाएगी। खास है कि प्रदेश पुलिस की महिला आईपीएस अधिकारियों सहित 10 अफसरों का दल डेढ़ सप्ताह तक ग्रामीणों के बीच रहा था। यह पहला मौका था कि सीमांत क्षेत्र में सटे गांवों में सैन्य व अर्द्धसैनिक बलों के अलावा पुलिस भी लीक से हटकर काम करती दिखी है। बार्डर से सटे गांवों में पहुंचे पुलिस दल ने लाहुल-स्पीति व किन्नौर के ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इसमें नेटवर्क, रोजगार समेत अन्य कई ऐसी बातों पर फोकस किया गया हैं, जिसको केंद्र सरकार ने काफी सराहा है।
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