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November 25, 2024

हाटी समिति ने प्रधानमंत्री से की गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की मांग,150 पंचायतों की मांग को लेकर पीएम को भेजा पत्र

पंचायत चुनाव के चलते एक बार फिर गरमाया मुद्दा

News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)

जिला सिरमौर की 150 के करीब पंचायतों वाले गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एक बार फिर हाटी समिति द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मांग पत्र भेजा गया है। उक्त मांग पत्र की प्रति केंद्रीय गृहमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा हिमाचल के मुख्यमंत्री आदि को भी भेजी गई है।

पंजीकृत डाक से उक्त पत्र भेज चुके समिति के अध्यक्ष डॉ अमीचंद कमल ने बताया कि, पत्र में गत 7 दिसंबर को जिला राजस्व अधिकारी सिरमौर द्वारा क्षेत्र में रह रही खश-कनैत जाति का रिकॉर्ड दुरुस्त किए जाने को लेकर संबंधित तहसीलदारों को भेजे गए पत्र का जिक्र भी किया गया है। उन्होंने कहा कि, दरअसल गिरिपार खश व भाट बहुल इलाका है तथा प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1955 में राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर उक्त जातियों को भाट व राजपूत दर्ज किया गया, जो आरजीआई से जनजातीय दर्जा मिलने में मुख्य अड़चन रही। क्षेत्र की भाट जाति का रिकॉर्ड अधिकतर पंचायतों में हालांकि दुरूस्त किया जा चुका है, मगर खश कनैत जाती का रिकॉर्ड ठीक किया जाना शेष है।

गौरतलब है कि, असम, पश्चिम बंगाल व उत्तराखंड आदि राज्यों में खश जाति को पहले ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है। सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की करीब ढ़ाई लाख की आबादी द्वारा पिछले 1970 के दशक से की जा रही जनजातीय दर्जे की मांग की मांग हालांकि विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ आदि में हर चुनाव में मुख्य मुद्दा रहती है, मगर बाद में मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाता है। वर्तमान में गिरिपार क्षेत्र से संबंध रखने वाले 2 कांग्रेस व एक भाजपा विधायक भी इस बारे चुप्पी साधे हुए हैं।

गत वर्ष लोक सभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप द्वारा जौनसार के साथ लगते सिरमौर जिला के इस दूरदराज इलाके को ट्राइबल स्टेटस दिए जाने का मुद्दा लोक सभा में भी उठाया जा चुका है। हाटी समिति अध्यक्ष डॉ अमीचंद कमल ने पीएम को भेजे गए मांग पत्र की प्रति के साथ यहां जारी बयान में कहा कि,

पिछले एक दशक में कईं बार गिरिपार को जनजातीय दर्जे के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को लिखा जा चुका है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उक्त मुद्दा हावी रहा तथा गिरिपार की तीन में से दो सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1967 में तत्कालीन यूपी के बाबर-जौनसार इलाके को जनजातीय दर्जा मिलने के बाद से लगभग हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव के दौरान सिरमौर के तीन विधानसभा क्षेत्रों में गिरिपार का मुद्दा उठता रहा है।

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