News portals-सबकी खबर (शिमला )
प्रदेश में बड़ी संख्या में कश्मीरी मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं, जिन्हें घर जाने की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। हालांकि सरकार ने दो हजार से ज्यादा कश्मीरी मजदूरों को अब तक विभिन्न जिलों से कश्मीर जाने की इजाजत दी है और इनको भेजा भी जा चुका है, मगर अभी भी बड़ी संख्या में यह लोग फंसे हुए हैं। राजधानी शिमला में तो कश्मीरी मजदूरों को लाइफलाइन माना जाता है, जो कि यहां पर कई ऐसे काम करते हैं, जो कोई दूसरा नहीं करता। वैसे जो लेग फंसे हैं उनमें अधिकांश चरानी व सड़कों में काम करने वाली कश्मीरी मजदूर हैं।
आंकड़े की बात करें तो शिमला जिला में दो हजार से अधिक कश्मीरी मजदूर हैं, जिनमें से 747 को अब तक पास मिले हैं और यह लोग अपने घर भी चले गए हैं। दूसरे जिलों की बात करें तो मंडी जिला में करीब 250 कश्मीरी मजदूरों को उनके घर को भेज दिया गया है और लगभग इतने ही लोग यहां पर और हो सकते हैं। मंडी जिला में भी काफी संख्या में कश्मीरी लोग काम कर रहे थे। इसी तरह से बिलासपुर जिला से अभी तक 150 कश्मीरियों की घर वापसी हो चुकी है। इसमें घुमारवीं से 80, झंडूता से 22, स्वारघाट से 22 और सदर क्षेत्र से ही 40 कश्मीरी अपने घरों को गए हैं।
वहीं सिरमौर में 57 कश्मीरी लोगों को संगड़ाह व नौहराधार से कश्मीर के लिए रवाना किया गया है। नालागढ़ से प्रशासन ने 423 कश्मीरी मजदूरों को और सोलन से 87 मजदूरों को बाहर निकाला गया है। यहां कुल 510 लोगों को कश्मीर भेजा गया है। ऐसे ही प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी कश्मीरी मजदूर काम कर रहे हैं, जिनको यहां से घर भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में कश्मीरी मजदूर ऐसें हैं, जिन्हें पास नहीं मिल पाए हैं। जिला प्रशासनों में इस मामले को लेकर आपस में ही सामंजस्य नहीं है।
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