News portals-सबकी खबर(शिमला ) प्रदेश हाई कोर्ट ने रेणुका बांध परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण मुआवजे के आबंटन में हुई धोखाधड़ी की धीमी जांच पर सख्त रुख अपनाते हुए एसपी सिरमौर को तलब किया है। कोर्ट ने इस जांच को लेकर गठित एसआईटी द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश न कर पर यह आदेश जारी किया। एसपी सिरमौर को रिकार्ड सहित तलब किया गया है। मुआवजे को चंद वकीलों, दलालों और राजस्व कर्मियों द्वारा हड़पने के आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट ने एसआईटी का गठन करने के आदेश दिए थे। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने एसपी सिरमौर की अध्यक्षता में इस एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी में डीएसपी ददाहू, डीएसपी राजगढ़ व डीएसपी संगडाह को भी शामिल किया गया था। 22 अगस्त, 2022 को कोर्ट ने एसआईटी को दो माह के भीतर जांच पूरी करने को कहा था। इस अवधि में जांच पूरी न करने पर एसआईटी ने तीन नवंबर, 2022 को तीन माह का अतिरिक्त समय मांगा था। तीन माह के अतिरिक्त समय में भी इस मामले में कोई रिपोर्ट पेश न कर पाने पर कोर्ट ने एसआईटी को फटकार लगाते हुए एसपी को तलब करने के आदेश दिए।कोर्ट ने एसपी को जांच में होने वाली देरी का कारण स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार एचपीपीसीएल ने रेणुका डैम प्रोजेक्ट के लिए 12 हजार बीघा से अधिक भूमि अधिगृहित की है। इसके लिए भू मालिकों को लगभग 2500 करोड़ रुपए बतौर मुआवजे का खर्चा किया जाना है। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि रेणुकाजी क्षेत्र में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए भारी धन राशि का आकलन मुआवजे के रूप में गरीब और अनपढ़ भू-मालिकों को देने के लिए किया गया। रेणुका जी डैम प्रोजेक्ट की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुछ दलालों ने वकीलों और राजस्व कर्मियों सहित बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर वास्तविक भू-मालिकों के साथ घोटाला किया है और गरीबों की भारी रकम हड़प ली है। वास्तविक भू मालिकों को यह भी नहीं बताया गया कि उनकी भूमि का कितना मुआवजा उनके पक्ष में तय हुआ है। इतना ही नहीं, फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाकर और अदालतों में फर्जी आवेदन दायर कर मुआवजा राशि निकलवा लेने के आरोप भी कुछ भू मालिकों ने लगाए हैं। कोर्ट ने इन सभी तथ्यों के मद्देनजर पूरे घोटाले की व्यापक जांच तीन महीने में पूरी कर सील्ड कवर में कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश जारी किए। मामले पर सुनवाई 24 मार्च को होगी।
Recent Comments