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केंद्र सरकार के किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने के किए जा रहे दावों के बीच हालात ये हैं कि हिमाचल के किसानों का अनाज पंजाब की मंडियों में बेचना तो दूर, मंडी के अंदर तक ले जाने नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल में कहीं भी ऐसी अनाज मंडी नहीं है, जहां किसान अपना अनाज बेच सकें। ऐसे में अकसर किसान पड़ोसी राज्यों की मंडियों का रुख करते रहे हैं, लेकिन अब आलम यह है कि पंजाब की मंडियों ने हिमाचल के किसानों का अनाज लेने से साफ मना कर दिया है।
इसी से हताश नालागढ़ के किसानों मनजीत सिंह, धर्मपाल कौशिक, पद्मनाथ, राम सिंह, रामपाल, दयाल चंद, श्याम, सुरजीत सैणी, सुखदेव सिंह, नरेंद्र सैणी, चनण सैणी, बलवीर, रविंद्र सिंह सैणी, सज्जन सिंह, यादविंद्र सिंह, हाकम सिंह, ज्ञान सिंह, कृपाल का कहना है कि वे धान लेकर पंजाब की घनौली मंडी पहुंचे, तो उन्हें मंडी तक नहीं जाने दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि वह हिमाचल के किसानों का अनाज नहीं खरीदेंगे। इसके बाद उन्होंने भट्टा साहिब की मंडी की ओर अपना रुख किया, लेकिन वहां भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव किया गया।
किसानों ने जब पंजाब की अन्य मंडियों के साथ संपर्क साधा, तो वहां भी हिमाचल के किसानों से अनाज लेने से मना कर दिया। भारतीय किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष गोपाल चंद नेगी, सचिव जितेंद्र शर्मा, नालागढ़ मंडलाध्यक्ष जसविंद्र सैणी, बरोटीवाला इकाई के अध्यक्ष अनिल शर्मा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रामलोक ठाकुर व निक्का राम आदि ने कहा कि एक तरफ तो केंद्र सरकार किसानों को कहीं भी अनाज बेचने की छूट देने की बात ऊंचे मंचों से कर रही है, लेकिन धरातल पर हालात ये हैं कि उनका अनाज साथ लगते राज्य पंजाब में भी नहीं बिक रहा है।
ऐसा भेदभाव क्यों
किसानों ने रोष जताया कि हिमाचल में आज तक कोई अनाज मंडी नहीं बन पाई है, जहां वे अपना अनाज बेच सकें। आखिर हिमाचल के किसानों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। किसानों ने रोष जताया कि यदि उनके साथ ऐसा ही दुखद बर्ताव किया जाता रहा, तो वह अनाज की बिजाई करना ही बंद कर देंगे, क्योंकि जब उनका अनाज बिकेगा ही नहीं, तो वे अनाज पैदा भी क्यों करेंगे। किसानों का कहना है कि इससे पूर्व भी वे अपना अनाज पड़ोसी राज्यों की मंडियों में ही बेचते आ रहे हैं, लेकिन अब अचानक उनका अनाज खरीदना बंद कर दिया गया है।
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