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भारत-चीन एलएसी विवाद में हिमाचल सरताज बन गया है। स्पीति तथा किन्नौर से सटे भारत-चीन बॉर्डर में आईटीबीपी तथा सेना कमांडिंग पॉजिशन में हैं। स्पीति घाटी स्थित लेपचा बॉर्डर पर चीन की चौकियां हिमाचल के पांव तले हैं। किन्नौर के शिपकिला स्थित बॉर्डर पर भी चीन की चेकपोस्ट हिमाचल की पहाड़ी से पांच किलोमीटर नीचे है। इस कारण इन दोनों बॉर्डर पोस्ट पर आईटीबीपी तथा भारतीय सेना को चीनी फौज खड़ी गर्दन निहार रही है। यही वजह है कि हिमाचल से सटे बॉर्डर से चीन पूरी तरह डरा हुआ है। चाह कर भी चीनी सैनिक इन दोनों बॉर्डर में घुसपैठ नहीं कर सकते हैं।
इस सीमांत पट्टी का दौरा कर लौटे लाहुल-स्पीति तथा किन्नौर के एसपी ने मुख्यालय को भेजी अपनी रिपोर्टिंग में कहा है कि बॉर्डर में तैनात हमारे जवानों के हौसले पूरी तरह बुलंद हैं। बताते चलें कि स्पीति घाटी के समदो से 22 किलोमीटर दूर लेपचा बॉर्डर है। किसी समय यहां स्पीति घाटी के लोगों की रिहायश थी। दशकों पहले इन लोगों को लेपचा से समदो शिफ्ट कर दिया गया था। बहरहाल देश की फौज के लिए सबसे बड़ा एडवांटेज यह है कि लेपचा चेकपोस्ट चीनी सरहद से करीब दो किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस पोस्ट में फ्रंटलाइन पर आईटीबीपी के करीब 250 जवान तैनात हैं।
इसके अलावा डोगरा स्काउट, साढा बैटरी तथा 15 बिहार की तीनों रेजीमेंट के 600 से ज्यादा जवान सीना चौड़ा कर सरहद पर डटे हैं। इस चेकपोस्ट से नीचे की तरफ चीनी गांव व फौज की टुकडि़यां तैनात हैं। यही चीन के लिए सबसे बड़ी चिंता है। इसी तरह किन्नौर जिला के पूह उपमंडल से करीब 35 किलोमीटर दूर शिपकिला में आईटीबीपी ने फ्रंट मोर्चा संभाला है। हिमाचल की ऊंची पहाड़ी पर स्थित चेकपोस्ट का यह बॉर्डर एरिया भी चीन के लिए सबसे बड़ी टेंशन है। इस बॉर्डर पर भी देश की फौज कमांडिंग पॉजिशन पर है। इस कारण चीनी सैनिक हिमाचल से सटी इस सीमा पर न घुसपैठ की सोच सकते हैं और न ही भारतीय सेना का मुकाबला करने में सक्षम हैं। इसी कारण चीन की फौज सप्ताह में एक-दो बार समदो तथा शिपकिला के उस तरफ रेकी के लिए अपने हेलिकॉप्टर भेज रही है।
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